सोमवार, 2 मई 2022

शिव चालीसा (Shiv Chalisa)

दोस्तों आज के इस अंक में हम भगवान भोलेनाथ की आरती एवं चालीसा प्रस्तुत कर रहे हैं।
                  शिव चालीसा

दोहा- जय गणेश गिरिजा सुवन मंगल मूल सुजान।
 कहत अयोध्या दास तुम देउ अभय वरदान।।
चौपाई- जय गिरिजापति दीन दयाला।
सदा करत संतन प्रतिपाला।।
 भाल चंद्रमा सोहत नीके।
 कानन कुंडल नागफनी के।।
 अंग गौर सिर गंग बहाये।
 मुंडमाल तन क्षार लगाए ।।
वस्त्र खाल बाघाम्बर सोहे।
 छवि को देख नाग मन मोहे।।
 मैंना मात की हवे दुलारी।
 बाम अंग सोहत छवि न्यारी।।
 कर त्रिशूल सोहत छवी भारी।
 करत सदा शत्रु क्षयकारी ।।
 नंदी गणेश सोहे तहं कैसे। 
सागर मध्य कमल है जैसे ।।
कार्तिक श्याम और गणराऊ।
या छवि को जात न काऊ।।
देवन जबही जाए पुकारा।
 तब ही दुख प्रभु आप निवारा।।
 किया उपद्रव तारक भारी ।
देवन सब मिली तुमहि जुहरी।।
तुरत षडानन आप पठायो।
 लव निमेष महं मारि गिरायऊ।।
 आप जालंधर असुर संहारा ।
सुयश तुम्हार विदित संसारा ।।
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। 
सबहि कृपा करि लीन बचाई ।।
किया तपहि भागीरथ भारी।
 पूरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी।।
दानिन में तुम सम कोऊ नाही ।
सेवक स्तुति करत सदा ही ।।
वेद नाम महिमा तक गाई ।
अकथ अनादि भेद नहीं पाई ।।
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला।
 जरत सुरासुर भए बिहाला।।
 किन्ह दया तब करी सहाई।
 नीलकंठ तब नाम कहाई ।।
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा।
 जीत के लंक विभीषण दीना।।
 सहस कमल में हो रहे धारी।
 कीन्ह परीक्षा तबहि त्रिपुरारी।।
 एक कमल प्रभु राखियों जोई।
 कमलनयन पूजन चहुं सोई ।।
कठिन भक्ति देखी जब शंकर।
भये प्रसन्न दिए  इच्छित वर।।
 जय जय जय अनंत अविनाशी।
 करत कृपा सब के घट वासी।।
 दुष्ट सकल नित मोहि सतावै।
भ्रमत रहौ मोहि चैन न आवै।।
त्राहि त्राहि में नाथ पुकारो।
यहि अवसर मोहि आन उवारो।। 
 मात पिता भ्राता सब  कोई ।
संकट में पूछते नहीं कोई।।
 स्वामी एक आस तुम्हारी।
 आय हरहु अब संकट भारी।।
 धन निरधन को देत सदा ही।
 जो कोई जांचे वो फल पाहि।।
स्तुति केहि बिधि करो तुम्हारी।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी।।
शंकर हो संकट के नासन।
विघ्न विनाशक मंगल कारण।।
योगी यति मुनि ध्यान लगा वे।
 नारद शारद शीश नवावै।।
 नमो नमो जय  नमः शिवाय।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाए।।
जो यह पाठ करें मन लाई ।
ता पर होते हैं शम्भु सहायी।।
ऋनियां जो कोई हो अधिकारी।
पाठ करै सो पावन कारी।।
पुत्र हीन कर इच्छा जोई।
 निश्चय शिवप्रसाद तेहि होई ।।
पंडित त्रयोदशी को लावै।
 ध्यान पूर्वक होम करावे ।।
त्रयोदशी व्रत करे हमेशा।
तन नहीं ताके रहे कलेशा।।
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
शंकर सन्मुख पाठ सुनावे ।।
जन्म-जन्म के पाप नसावे ।
अंत धाम शिवपुर में पाबे।।
 कहे अयोध्या दास तुम्हारी।
जान सकल दुख हरहु हमारी।।
दोहा- नित्य नेम कर प्रातः ही पाठ करो चालीस।
 तुम मेरी मनोकामना पूर्ण करो जगदीश।। मगसर छठि हेमंत ऋतु संवत चौसठ जान। अस्तुति चालीसा शिवहि पूर्ण कीन कल्याण।।
              शिव जी की आरती
ओम जय शिव ओंकारा स्वामी जय शिव ओंकारा।
 ब्रम्हा विष्णु सदाशिव अर्धांगी धारा।। ओम जय शिव ओंकारा।। 
एकानन चतुरानन पंचानन राजे।
हंसासन गरुड़ासन वृषवाहन साजे।।ओम जय शिव ओंकारा।।
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे। तीनों रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे।। ओम जय शिव ओंकारा।।
 अक्षमाला वनमाला मुंडमाला धारी। त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी।।ओम जय शिव ओंकारा।।
 श्वेतांबर पीतांबर वाघाम्वर अंगे।
 सनकादिक गरूडादिक भूतादिक संगे।।ओम जय शिव ओंकारा।।
करके मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धारी।
सुख कारी दुखहारी जगपालनकारी।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।प्रणवाक्षर के मध्ये यह तीनों एका।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
त्रिगुण स्वामी जी की आरती जो कोई जन गावे।
कहत शिवानंद स्वामी मन वांछित फल पावे।। ओम जय शिव ओंकारा।।

रविवार, 1 मई 2022

संकटमोचन हनुमानाष्टक (Sankatmochan Hanumanashtk)

नमस्कार साथियों आज के इस अंक में हम आपको सभी संकटों को हरने वाले श्री संकट मोचन हनुमान अष्टक के बारे में बताएंगे इसके पाठ करने से आप सभी संकटों से मुक्त हो जाएंगे जय श्री राम
         
            संकटमोचन हनुमानाष्टक
बाल समय रवि भक्ष लियो तब 
तीनहुं लोक भयो अंधियारो।
 ताहि सो त्रास भयो जग को 
यह संकट काहू सो जात ना टारो।।
 देवन आनि करी बिनती तब
 छाड़ दियो रवि कष्ट निवारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि
 संकटमोचन नाम तिहारो।।१।।
बालि की त्रास कपीस बसे गिरि
 जात महाप्रभु पंथ निहारो ।
चौकी महामुनि शाप दीया 
तब चाहिए कौन विचार विचारों ।।
के द्विज रूप लिवाय  महाप्रभु 
सो तुम दास के सोक निवारो।
 को नहीं जानत है जग में 
कपि संकटमोचन नाम तिहारो।।२।।
अंगद के संग लेन गए सिय 
खोज कपीस यह बैन उचारों ।
जीवंत ना बचि हौ हम सो 
जो बिना सुधि लाए यहां पगु धारो।।
 हेरि थके तट सिंधु सबै 
तब लाए सिया सुधि प्राण उवारो।
 को नहीं जानत है जग में 
कपि संकटमोचन नाम तिहारो।।३।।
 रावण त्रास दई सिय को 
सब राक्षसी सों कहि सोक निवारो ।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु 
जाय महा रजनी चर मारो ।।
चाहत सीय अशोक सों आगि सु
 दै प्रभु मुद्रिका शोक निवारो ।
को नहीं जानत है जग में 
कपि संकटमोचन नाम तिहारो।।४।।
बाण लग्यो उर लछिमन के 
तब प्राण तजे सुत रावण मारो।
 ले गृह वैद्य सुषेण समेत
 ताबे गिरि द्रोण सो वीर उपारो ।।
आनी सजीवन हाथ दई तब 
लछिमन के तुम प्राण उवारो।
को नहि जानत है जग में 
कपि संकटमोचन नाम तिहारो।।५।।
रावण युद्ध अजान कियो तब 
नाग कि फांस सबै सिर डारो।
 श्री रघुनाथ समेत सबै दल 
मोह भयो यह संकट भारो ।।
आनि खगेश ताबे हनुमान जु
 बंधन काटि सूत्रास निवारो ।
को नहीं जानत है जग में 
कपि संकटमोचन नाम तिहारो।।६।।
बंधु समेत जबै अहिरावण 
 लै रघुनाथ पाताल सिधारो ।
देविहि पूजि भलि विधि सो 
बलि देउ सबै मिलि मंत्र विचारो ।।
जाय सहाय भयो तब ही 
अहिरावण सैन्य समेत संहारो ।
को नहीं जानत है जग में
 कपि संकटमोचन नाम तिहारो।।७।।
काज किए बड़ देवन के तुम
 बीर महाप्रभु देखि विचारों।
 कौन सो संकट मोर गरीब को
 जो तुम सो नहीं जात हैं टारो ।।
बेगी हरो हनुमान महाप्रभु 
जो कछु संकट होय हमारो ।
को नहीं जानत है जग में 
कपि संकटमोचन नाम तिहारो।।८।।
दौहा-लाल देह लाली लसे अरु धरि लाल लंगूर ।
बज्र देह दानव दलन जय जय जय कपि सूर ।।
पवनसुत हनुमान जी की जय

शुक्रवार, 29 अप्रैल 2022

श्री हनुमान चालीसा (Shri Hanuman Chalisa)

नमस्कार साथियों आज के इस अंक में हम आपको श्री हनुमान चालीसा श्री बजरंग बाण , प्रस्तुत कर रहे हैं, 
            १ श्री हनुमान चालीसा
दोहा- श्री गुरु चरण सरोज रज निज मनु मुकुर सुधारि।
 बरनऊ रघुबर बिमल जसु जो दायक फल चारि।।
 बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरो पवन कुमार।
 बल बुद्धि विद्या देहु मोहि हरहु कलेश विकार।।
चौपाई-  जय हनुमान ज्ञान गुण सागर।
 जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
 राम दूत अतुलित बल धामा।
अंजनी पुत्र पवनसुत नामा।।
 महावीर विक्रम बजरंगी।
 कुमति निवार सुमति के संगी।।
 कंचन वरण विराज सबेसा।
 कानन कुंडल कुंचित केसा।।
 हाथ बज्र औ ध्वजा विराजे।
 कांधे मूंज जनेऊ साजे।।
शंकर सुवन केसरी नंदन।
 तेज प्रताप महा जग बंदन।।
 विद्यावान गुनी अति चातुर।
 राम काज करिवे को आतुर।।
 प्रभु चरित सुनबे को रसिया।
 राम लखन सीता मन बसिया।।
 सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा।
 बिकट रुप धरि लंक जरावा।।
 भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।
 लाय सजीवन लखन जियाए।
 श्री रघुवीर हरषि उर लाए।।
 रघुपति किंही बहुत बड़ाई।
 तुम मम प्रिय भरत सम भाई।। 
सहस बदन तुम्हारो यश गावै।
अस कहिश्रीपति कंठ लगावै।।
 सनकादिक ब्रह्मादि मुनीषा।
नारद शारद सहित अहीसा।।
 जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
 कवि कोबिद कहि सके कहां ते।। 
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हां।
राम मिलाए राजपद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र विभीषण माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू ।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही।
जलधि लांघी गए अचरज नाही।।
 दुर्गम काज जगत के जेते।
 सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
 राम दुआरे तुम रखवारे।
 होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
 सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना।।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक ते कांपे।।
भूत पिशाच निकट नहीं आवै।
महावीर जब नाम सुनावै।।
 नासे रोग हरे सब पीरा ।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
 संकट से हनुमान छुडावे।
मन क्रम वचन ध्यान जो लावे।।
 सब पर राम तपस्वी राजा। 
तिनके काज सकल तुम साजा।।
और मनोरथ जो कोई लावे।
 सोई अमित जीवन फल पावे।।
चारों युग परताप तुम्हारा।
 है प्रसिद्ध जगत उजियारा।।
 साधु संत के तुम रखवारे ।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
 अष्ट सिद्धि नवनिधि के दाता।
 अस बर दीन जानकी माता।।
 राम रसायन तुम्हारे पासा।
 सदा रहो रघुपति के दासा।।
 तुम्हारे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै।।
अंत काल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि भक्त कहाई।।
और देवता चित्त ना धराई।
 हनुमत सेई सर्व सुख करई।।
संकट कटे मिटे सब पीरा।
 जो सुमिरे हनुमत बलबीरा।।
 जय जय जय हनुमान गोसाई।
 कृपा करो गुरुदेव की नाई।।
 यह सत बार पाठ कर कोई। 
छूटहि बंदी महा सुख होई।
 जो यह पढ़े हनुमान चालीसा।।
 होय सिद्धि साखी गौरीसा ।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
 कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।
दोहा-पवन तनय संकट हरण मंगल मूर्ति रुप राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुरभूप।। 
                 २ बजरंग बाण
दोहा-निश्चय प्रेम प्रतीति ते विनय करें सनमान। 
तेहि के कारज सकल शुभ सिद्ध करैं हनुमान।।
चौपाई-जय हनुमंत संत हितकारी।
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ।।
जन के काज विलंब न कीजै।
आतुर दोरी महासुख दीजे।।
 जैसे कूदि सिंधु महि पारा।
सुरसा बदन पैठी विस्तारा।।
 आगे जाय लंकिनी रोका। 
मारेहु लात गई सुर लोका ।।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा।
 सीता निरखि परम पद लीन्हा।।
 बाग उजाड़ सिंधु महं बोरा।
 अति आतुर यम कातर तोरा ।।
अक्षय कुमार कु मारी सहारा।
 लूम लपेट लंक को जारा ।।
लाह समान लंक जरि गई ।
जय जय धुनि सुर पुर में भई ।।
अब विलंब केहि कारण स्वामी ।
कृपा करहु उर अंतर्यामी ।।
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता।
 आतुर होई दुख करहु निपाता ।।
जय गिरधर जय जय सुख सागर।
 सुर समूह समरथ भट नागर।।
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले।
 बैरिहि मारू बज्र की कीले।।
 गदा बच्चे बज्र बैरिहि मारो।
 महाराज प्रभु दास उबारो।।
ॐ कार हुंकार प्रभु धावो।
बज्र गदा हनु विलंब न लावो।।
ॐ ह्मी ह्मी ह्मी  हनुमंत कपीसा।
ॐ हुं हुं हुं हनु अति उर शीशा।।
सत्य होहु हरि शपथ पाय के।
 रामदूत धरू मारू धाई के।।
 जय जय जय हनुमंत अगाधा।
 दुख पावत जन केहि अपराधा।।
 पूजा जप तप नेम अचारा।
 नहिं जानत हौं दास तुम्हारा।।
 वन उपवन मग गिरि गृह माहीं।
 तुम्हरे बल हम डरपत नाही ।।
पांव परौ कर जोरि मनाबो।
 यही अवसर अब केहि गौहरावौ।।
जय अंजनी कुमार बलवंता।
 शंकर सुवन वीर हनुमंता ््।।
बदन कराल काल कुल घालक।
 रामसहाय सदा प्रतिपालक ।।
भूत प्रेत पिशाच निशाचर।
 अग्नि बेताल काल मारी मर।।
 इन्हें मारु तो ही शपथ राम की।
 राखु नाथ मर्याद नाम की ।।
जनक सुता हरिदास कहावो ।
ताकी शपथ विलंब न लावो।
 जय जय जय ध्वनि होत अकाशा।
 सुमिरत होत दुसह दुख नाशा।।
 चरण शरण कर जोरि मनाबो ।
यहि अवसर अब केहि गोहरावौ।।
उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई।
 पायं परों कर जोरि मनाई ।।
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता ।
ॐ हनु हनु हनु हनुमंता।।
 ॐ हं हं हं देत कपि चंचल ।
ॐ सं सं सहमि पराने खलदल ।।
अपने जन को तुरत उबारो ।
सुमिरत होय आनंद हमारो ।।
यह बजरंग बाण जेहि मारे।
 ताहि कहौ फिर कौन उवारे।।
 पाठ करै बजरंग बाण की।
 हनुमत रक्षा करें प्राण की।।
 यह बजरंग बाण जो जापे।
 ता शो  भूत प्रेत सब कांपे।।
 पर धूप देय अरु जपै हमेशा।
 ताके तन नहीं रहे कलेशा।।
दौहा-प्रेम प्रतीतिहि कपि भजें सदा धरै उर ध्यान।
 तेहि के कारज सकल शुभ सिद्ध करैं हनुमान।।


शुक्रवार, 25 मार्च 2022

कलश स्थापना मंत्र (Kalash Sthapna Mantra)

साथियों आज के इस अंक में हम आपको नवरात्रि पर्व कब है? कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त कब से कब तक है? किन मंत्रों के द्वारा कलश स्थापित करें? इन प्रश्नों के उत्तर देंगे तो आइए शुरू करते हैं।
           नवरात्रि २अप्रैल २०२२
कलश स्थापना शुभ मुहूर्त- सूर्योदय से लेकर सुबह ८:३० मिनट तक।
अभिजित मुहूर्त- दोपहर ११:४२ मिनट से,
१२:०३ मिनट तक।
सबसे पहले जिस स्थान पर कलश स्थापित करना है उसे गाय के गोबर से लीप कर या जल से धो कर शुद्ध करें इसके बाद कलश स्थापित करे।
               कलश पूजन मंत्र
इसके बाद- हाथ में चावल लेकर आवाहन करें।
अस्मिन कलशे वरुणं साङ्गम सपरिवारं सायुधं सशक्तिकमावाहयामि। ॐ भूर्भुवः स्वः भो वरुण! इहागच्छ इह तिष्ठ, स्थापयामि पूजयामि मंमं पूजां गृहाण।। ॐ अपां पतये वरूणाय नमः। चावल को कलश देवता पर छोड़ दें। पुनः वाएं हाथ में चावल लेकर निम्न मंत्र बोलते हुए दांए हाथ से कलश देवता पर छोड़ते जाएं।
कलशस्य मुखे बिष्णुः अण्डे रुद्राः समाश्रिताः। ः   
मूले त्वस्य स्थितो ब्राह्म मध्ये मातृगणाः स्मृताः।।
 कुक्षो तु सागरः सर्वे सप्तद्वीपा वसुंधरा।
ऋग्वेदोऽथ यजुर्वेदः सामवेदो ह्मथर्वण।।
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिंधु कावेरी जलेऽस्मिन्सन्निधि कुरू।।
सर्वे समुद्राः सरितस्तीर्थान जलेदा नदाः।।
इसके बाद कलश देवता पर हाथ रख कर प्रतिष्ठा करें निम्न मंत्र को बोलते हुए
कलशे वरुणाद्यावाहितदेवताः सुप्रतिष्ठितां वरदा भवन्तु। वरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नमः।। इसके बाद कलश देवता का उपस्थित सामग्री से पूजन करें।।

बुधवार, 23 मार्च 2022

सर्व देव पूजन मंत्र ( Sarv Dev Pujan Mantra)

आज के इस अंक में हम आपको ऐसे मंत्रों के वारे में बतायेगे जिन के द्वारा आप किसी भी देवता का पूजन कर सकते हैं। आज हम आपको बता रहे हैं वह लौकिक मंत्र।।
सर्वप्रथम किसी भी देवता का पूजन करने से पहले पवित्रीकरण मंत्र के द्वारा जल  लेकर  पूजन सामग्री को शुद्ध किया जाता है।।
               पवित्रीकरण मंत्र
ॐ अपवित्र पवित्रो वा सर्वावस्था गतोऽपिवा। 
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं सःवाहय्न्यन्तरः शुचि।।
पवित्रीकरण के बाद में आचमन किया जाता है तो निम्न मंत्रों को बोलते हुए तीन बार आचमन करें और चौथी बार हाथ में जल लेकर निम्न मंत्र को बोलते हुए अपने हाथों को धो लें।
                   आचमन मंत्र
ॐ माधवाय नमः
ॐ केशवाय नमः
ॐ गोविंदाय नमः
ॐ ऋषिकेशाय नमः इस मंत्र को बोलते हुए अपने हाथ धो ले। इसके बाद निम्न मंत्र को बोलते हुए अपने आसन को शुद्ध करें
                आसन शुद्धि मंत्र
विनियोग- पृथ्वीति मंत्रस्य मेरू पृष्ठ ऋषिः सुतलं छन्दःकुर्मो देवता आसने  बिनियोगः।।
मंत्र- पृथ्वी त्वा धृतालोका देवी त्वं बिष्णुना धृता।
त्वं च धारय मां देवी पवित्रं कुरू चासनम्।।
आसन शुद्धि के बाद में अपनी शिखा को निम्न मंत्र बोलते हुए बांधले और अगर शिखा ना हो तो अपने सर को एक रुमाल से ढक ले
                 शिखा वंदन मंत्र
चिद्रूपिणि! महामाये! दिव्यतेजः समन्विते। ःः
तिष्ठ देवी! शिखामध्ये तेजोवृद्धि कुरुष्व में।।
शिखा बंधन के पश्चात स्वस्तिवाचन मंत्र मांगलिक श्लोक नवग्रह पूजन कलश पूजन आदि किया जाता है जिस जिसके बारे में हम पिछले अंक में बता चुके हैं।।
इसके बाद में कर्म पात्र पूजन किया जाता है तो निम्न मंत्र को बोलते हुए कर्म पात्र का पूजन करें
                 कर्मपात्र पूजन मंत्र
गंगे च यमुने चैन गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिंधु कावेरी जलेऽस्मिन्सन्निधि कुरू।।
ॐ अपांपतये वरूणाय नमः। सर्वोपचारार्थे
गन्धाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि नमस्करोमि।।
इसके बाद पृथ्वी माता का पूजन करें
               पृथ्वी पूजन मंत्र
पृथ्वी त्वया धृतालोका देवी त्वं बिष्णुना धृता।
त्वं च धारय मां देवी पवित्रं कुरू चासनम्।।
ॐ आधारशक्तये पृथिव्ये नमः। कमलासनाये नमः। 
इसके बाद दीपक स्थापित करें।
                 दीपस्थानम् मंत्र
भो दीप देवरूपस्त्वं कर्मसाक्षी ह्मविध्नकृत्।
यावत्कर्मसमाप्तिः स्यादतावत्वं सुस्थिरो भव।। इसके बाद शंख देवता का पूजन करें
                  शंख पूजन मंत्र
त्वं पुरासागरोत्पन्नो विष्णुना विधृतः करें।
निर्मितः सर्वदेवश्च पाञ्चजन्य नमोऽस्तुते।।ॐ भूर्भुवः स्वः शंड्खस्थदेवाय नमः। ः ःः
इसके बाद घण्टा (गरूड़) देवता का पूजन करें

            घण्टा (गरूड़) पूजन मंत्र
आगमार्थ तु देवानां गमनार्थ च रक्षसाम्।
कुरू घण्टे वरं नादं देवतास्थान सन्निधौ।।
ॐ भूर्भुवः स्वः घण्टास्थिताय गरूडाय नमः।
 किसी भी देवता का पूजन करने से पहले 
सर्वप्रथम उन देवता की स्थापना (प्रतिष्ठा) की जाती है।
                   प्रतिष्ठा मंत्र
अस्यै प्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणाःक्षरन्तु च।
अस्यै देवत्वमर्चायै मामहेति च कश्चन ।। इसके पश्चात भगवान को दूध दही घी शहद शुद्धोधन आदि से स्नान करवाते हैं तो स्नान के मंत्र निम्न प्रकार से हैं
                 स्नान मंत्र (दुग्ध)
कामधेनुसमुद्भूतं सर्वेषां जीवनं परम्।
पावन यज्ञहेतुश्च पयः स्नानार्थमर्पितम्।।
इसके बाद भगवान को शुद्ध जल से स्नान कराएं और इसके बाद भगवान को दधि (दही) से स्नान कराएं
                दधिस्नान(दही) मंत्र
पयसस्तु समुद्भूतं मधुराम्लं शशिप्रभम्।
दध्यानीतं मया देव स्नानार्थ प्रतिगृह्मताम्।। पुनः भगवान को शुद्ध जल  से स्नान कराएं, इसके बाद भगवान को शुद्ध घी से स्नान कराएं
                  घृत स्नान मंत्र
नवनीतसमुत्पन्नसर्वसंतोषकारकम्।
घृतं तुभ्यं प्रदास्यामि स्नानार्थ प्रतिगृह्मताम्।। इसके बाद भगवान को शुद्ध जल से स्नान कराएं। पुनः मधु से स्नान कराएं
                 मधु स्नान मंत्र
पुष्परेणुसमुदद्भूतं सुस्वादु मधुरं मधु।
तेजः पुष्टिकरं दिव्यं सनानार्थ प्रतिगृह्मताम्।।
इसके बाद भगवान को शुद्ध जल से स्नान कराएं, तत्पश्चात भगवान को शर्करा स्नान कराएं
इक्षुरसमुद्भूतां शर्कराएं पुष्टिदायक शुभाम्।
मलापहारिकां दिव्यं स्नानार्थ प्रतिगृह्मताम्।।
पुनः भगवान को शुद्ध जल से स्नान कराएं, तत्पश्चात भगवान को पञ्चामृत से स्नान कराएं
              पञ्चामृतस्नान मंत्र
पञ्चामृतं मयनीतं पयो दधि घृतं मधु।
शर्करया समायुक्तं स्नानार्थ प्रतिगृह्मताम्।।
पुनः भगवान को शुद्ध जल से स्नान कराएं, इसके बाद भगवान को शुद्ध जल मैं चंदन कुमकुम आदि डालकर भगवान को शुध्दोदकस्नान कराएं
गंगा च यमुना चैन गोदावरी सरस्वती।
नर्मदासिन्धुकावेरी स्नानार्थ प्रतिगृह्मताम्।।
इसके बाद भगवान को शुद्ध जल से स्नान कराएं।। इसके बाद भगवान को वस्त्र चढ़ाएं
               वस्त्र चढ़ाने का मंत्र
शीतवातोष्णसंत्राणं लज्जाया रक्षणं परम्।
देहालड्करणं वस्त्रमतः शान्ति प्रयच्छ में।।
वस्त्र चढ़ाने के बाद भगवान को एक आचमनी जल चढाएं। इसके बाद भगवान को उपवस्त्र चढ़ाएं और एक आचमनी जल छोड़ें
            उप वस्त्र चढ़ाने का मंत्र
यस्याभावेन शास्त्रोक्तं कर्म किञ्चन्न सिद्धयति।
उपवस्त्रं प्रयच्छामि सर्वकमोपकारकम्।।
इसके बाद भगवान को यज्ञोपवीत चढ़ाएं और एक आचमनी जल छोड़ें
                   यज्ञोपवीत मंत्र
नवभिस्तन्तुभिर्युक्तं त्रिगुणं देवतामयम्।
उपवीतं मया दत्ता गृहाण परमेश्वर।। इसके बाद भगवान को चंदन लगाएं
                चंदन लगाने का मंत्र
श्रीखण्डं चन्दनं दिव्यं गन्धाढयं सुमनोहरम्।
विलेपनं सुरश्रेष्ठ! चन्दनं प्रतिगृह्मताम्।।
इसके बाद भगवान को अक्षत (चावल) चढ़ाएं
        अक्षत (चावल) चढ़ाने का मंत्र
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कुड्कुमाक्ताः सुशोभिताः।
मया निवेदिता भक्त्याः गृहाण परमेश्वर।।
इसके बाद भगवान को पुष्पमाला या पुष्प अर्पित करें
      पुष्प माला (पुष्प) चढ़ाने का मंत्र
माल्यादीनी सुगन्धीनि मालत्यादीनी वै प्रभो।
मयाहृतानि पुष्पाणि पूजर्थि प्रतिगृह्मताम्।।
इसके बाद भगवान को हरि हरि दूव चढ़ाएं
               दूव चढ़ाने का मंत्र
दुर्वाड्कुरान सुहरितानमृतान मंगलप्रदान।
आनीतांस्तव पुर्जार्थ गृहाण गणनायक।।
इसके बाद भगवान को सिन्दूर चढ़ाएं
            सिन्दूर चढ़ाने का मंत्र
 सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्।
शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्मताम्।।
इसके बाद भगवान को अबीर गुलाल चढ़ाएं
       अबीर (गुलाल) चढ़ाने का मंत्र
अबीरं च गुलालं च हरिद्रादिसमन्वितम्।
नाना परिमलं द्रव्यं गृहाण परमेश्वर।।
इसके बाद भगवान को धूप दिखाएं
           धूप दिखाने का मंत्र
वनस्पतिरसोद्भूतो गन्धाढयो गन्ध उत्तमः।
आनेयः सर्वदेवानां धूपोऽयं प्रतिगृह्मताम्।।
इसके बाद भगवान को दीप दिखाएं और अपने हाथों को धो लें,
               दीप दिखाने का मंत्र
भक्त्या दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने।
त्राहि मां निरयाद् धोराद् दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते।।
दीप दिखाने के बाद भगवान को भोग लगाएं और एक आचमनी जल छोड़ें
               भोग लगाने का मंत्र
शर्कराखण्ड्खद्यानि दधिक्षीरघृतानि च।
आहारं भक्ष्यभोज्य च नैवेद्यं प्रतिगृह्मताम।।
भोग लगाने के बाद भगवान को ऋतुफल समर्पित करें और एक आचमनी जल छोड़ें
             ऋतुफल चढ़ाने का मंत्र
इदं फलं मया देव स्थापितं पुरतस्तव।
तेन में सफलावाप्तिर्भवेज्जन्मनि जन्मनि।।
इसके बाद भगवान को करोद्धर्तन चंदन लगाएं
                  करोद्धर्तन चंदन
चन्दनं मलयोद्भूतं कस्तूर्यादिसमन्वितम्।
करोद्धर्तनकदेव गृहाणपरमेश्वर।।
इसके बाद भगवान को पान सुपारी लौंग इलायची आदि अर्पित करें
            ताम्वूल चढ़ाने का मंत्र
पूगीफलं महादिव्यं नागवल्लीदलैर्यतम्।
एलादिचूर्णसंयुक्तं ताम्वूलं प्रतिगृह्मताम्।।
इसके बाद भगवान को दक्षिणा अर्पित करें
             दक्षिणा चढ़ाने का मंत्र
ॐ हिरण्यगर्भ समवर्तताग्रे भूतस्य जातः पतिरेक आसीत्।
स दाधार पृथ्वी द्यामुतेमां कस्मै देवाय हविषा विधेम्।।
इसके बाद भगवान से क्षमा प्रार्थना करें क्षमा प्रार्थना के लिए मैंने पिछले अंक आरती पुष्पांजलि मैं बताया है आप वहां से इन मंत्रों को बोल सकते हैं ।

शुक्रवार, 4 मार्च 2022

हवन विधि (होम) Havan Vidhi (Hom)

साथियों आज के इस अंक में हम आपको श्री सत्यनारायण व्रत कथा के उपरांत होने वाले हवन विधि के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे तो आइए शुरू करते हैं श्री सत्यनारायण व्रत कथा हवन (होम) विधि
श्री सत्यनारायण व्रत कथा हवन विधि
हवन के लिए निम्नलिखित मंत्र से संकल्प करें 
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु: पूर्वोच्चारितग्रहगणगुण विशेषण विशिष्टायां शुभपुण्यतिथौ अमुकगोत्र: अमुकोऽहं कृतस्य श्रीसत्यनारायणव्रतकथाकर्मण:साङ्गतासिद्ध्यर्थ यथोपस्थितंसामग्रीभि: होमं करिष्ये।
इसके बाद वेदी का परिमार्जन करें कुशा से वेदी को साफ करें इसके बाद वेदी के ऊपर गोबर से थोड़ा लीप दें इसके बाद वेदी में सूरवे से पश्चिम से पूर्व की ओर तीन रेखाएं खींचीए पहली रेखा दक्षिण की ओर दूसरी बीच में और तीसरी उत्तर की ओर खींचना है तीनों रेखाओं से थोड़ी थोड़ी मिट्टी लेकर ईशान कोण में फेंके वेदी को थोड़ा-थोड़ा जल से सींचे, इसके बाद अग्नि जलाकर किसी पात्र में लेकर अग्नि को घुमा कर नेरित्य कोण में थोड़ा रख दें इसके बाद निम्न मंत्र बोलते हुए अग्नि को वेदी में स्थापित कर दे।
ॐ अग्रिं दूतों पुरो दद्ये हव्यवाहमुप व्रवे।
देवा२ आ सादयादिह।
भगवान अग्नि देवता का ध्यान करें
अग्रिंप्रज्वलितं वन्दे जाते दूहुताशनम्।
सुवर्णवर्णममलं समिद्धं सर्वतोमुखम्।।
ॐ वलवर्धननामाग्नये नमः इस मंत्र से गंध अक्षत पुष्प आदि से अग्नि का पूजन करें इसके बाद एक पात्र में जल लेकर उत्तर दिशा में रख दें और जब आप घी की आहुति दें तो सूरवे में बचा हुआ घी उस पात्र में छोड़ दे सबसे पहले घी से पांच आहुति दें।
ॐ प्रजापतये स्वाहा, इदं प्रजापतये न मम।
ॐ इन्द्राय स्वाहा, इदं इन्द्राय न मम।
ॐ आग्नेय स्वाहा, इदं आग्नेय न मम।
ॐ सोमाय स्वाहा, इदं सोमाय न मम।
इसके
बाद सबसे पहली वराह आहुति भगवान श्री गणेश जी की लगती है तो निम्न मंत्र से आहुति दें
ॐ गणानांत्वा गणपति गुंग हवामहे प्रियाणांत्वा प्रियपति गुंग हवामहे,
निधीनांत्वा निधिपति गुंग हवामहे
वसोमम अहमजानि गर्भधमा त्वमजासि गर्भधम्।। स्वाहा
ॐ अम्बे अम्बिकेऽम्वालिके न मा नयति कश्चन।
ससस्त्यश्वक: सुभद्रिकांकाम्पील वासिनीम्।। स्वाहा
इसके बाद हवन सामग्री से नवग्रह देवताओं को आहुति दें।
ॐ आदित्याय स्वाहा
ॐ सोमाय स्वाहा
ॐ भौमाय स्वाहा
ॐ वुधाय स्वाहा
ॐ बृहस्पतये स्वाहा
ॐ शुक्राय स्वाहा
ॐ शनैश्चराय स्वाहा
 ॐ राहवे स्वाहा
ॐ केतवे स्वाहा।
श्री सत्यनारायण कथा कर्म के प्रधान देवता भगवान श्री सत्यनारायण है अतः प्रथम उनके  द्वादश अक्षर मंत्र  ओम नमो भगवते वासुदेवाय का 108 बार या यथाशक्ति मंत्र के बाद स्वाहा लगाकर आहुति दें इसके बाद अपने कुलदेवता इष्ट देवता के नाम की आहुति दें तथा बची हुई हवन सामग्री को एक साथ
ॐ अग्नये स्विष्टकृते स्वाहा,
इदं अग्नये स्विष्टकृते न मम।
इसके बाद नौ आहुति घी की लगती है
ॐ भू: स्वाहा, इदंअग्नये न मम
ॐ भुव: स्वाहा, इदं वायवे न मम
ॐ स्व: स्वाहा, इदं सुर्याय न मम
ॐ अग्रीवरुणाभ्यां स्वाहा, इदं अग्निवरुणाभ्यां न मम
ॐ अग्रीवरुणाभ्यां स्वाहा, इदं अग्निवरुणाभ्यां न मम
ॐ अग्नये स्वाहा, इदं अग्नये अपसे न मम
ॐ वरुणाय सविप्रे विष्णवे विश्वेभ्यो देवेभ्यो मरुभ्य: स्वकैभ्वश्च स्वाहा, इदं वरुणाय सविप्रे विष्णवे विश्वेभ्यो देवेभ्यो मरुभ्य: स्वकैभ्वश्च न मम
ॐ वरुणायादित्यायादित्ये स्वाहा, इदं वरुणायादित्यादित्ये न मम
ॐ प्रजापतये स्वाहा, इदं प्रजापतये न मम।
इसके बाद हवन की भभूति को अपने मस्तक गले कान आदि में लगाएं उसके बाद आरती करें पुष्पांजलि करें एवं भगवान का प्रसाद भक्तों में वितरण करें।


बुधवार, 2 मार्च 2022

आरती मंत्र

साथियों आज के इस अंक में हम आपको किसी भी पूजन में आरती के समय होने वाले आरती मंत्र, मंत्र पुष्पांजलि, क्षमा प्रार्थना, एवं परिक्रमा मंत्र के बारे में जानकारी देंगे।।
                  आरती मंत्र
ॐ इद गुं हवि: प्रजननं में अस्तु दशवीर गुं सर्वगण गुं स्वस्तये।
आत्मसनि प्रजा संधि पशुसनि लोकसन्यभयसनि।
अग्नि: प्रजां वहुलां में करोत्वन्नं पयो रे तो अस्मासु धत्त।।
ॐ आ रात्रि पार्थिव गुं रज: पितृरप्रायि धामभि:।
दिव: सदा गुं सि वृहती वि तिष्ठस आ त्वेषं वर्तते तम:।।
कदलिगर्भ सम्भूतं कर्पूरं तु प्रदीपितम्।
आरार्तिकहं कुर्वे पश्य में वर्षों भव।।
                  पुष्पांजली मंत्र
ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन्।
ये ह नाकं महिमान: सचन्त यत्र पूर्वे साध्या: सन्ति देवा:।।
ॐ राजाधिराजाय प्रसह्म साहिने नमो वयं वैश्रवणाय कुर्म हे स में कामान कामकामाय मह्मं कामेश्वरी वैश्रवणो ददातु।।
कुवेराय वैश्रवणाय महाराजाय नमः।।
ॐ विश्वतश्चक्षुरुत विश्वतोमुखो विश्वतोवाहुरुत। 
विश्वासपात् सं वाहुभ्यां धमति सं पतत्रैर्धावाभूमि जनयन देव एक:।।
सेबन्तिका वकुल चम्पक पाटलाब्जै: पुन्नाग जाति करवीर रसाल पुष्पै:।।
बिल्व प्रवाल तुलसीदल मंजरीभि: त्वां पूजयामि जगदीश्वर मैं प्रसीद।।
नानासुगन्धिपुषृपाणि यथाकालोद्ववानि च पुष्पाञ्जलिर्मया दत्त गृहाण परमेश्वर।।
               क्षमा प्रार्थना मंत्र
आवाहनन्जानामि न जानामि तर्वाचनम्।
पूजा श्चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वर।।
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वर।
यत्पूजितं मया देव परिपूर्ण तदस्तु में।।
                 परिक्रमा मंत्र
यानि कानि च पापानि जनमान्तरकृतानि च।
तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणा पदे पदे।।

सोमवार, 28 फ़रवरी 2022

श्री सत्यनारायण व्रत कथा (Shri Satyanarayan Vrat Katha)

आज के इस अंक में हम आपको सम्पूर्ण श्री सत्यनारायण व्रत कथा पूजन विधि बताएंगे। 
                   पूजन विधी
सर्वप्रथम पूर्वाभिमुख होकर बैठ जाए एवं निम्नलिखित मंत्र से आचमन करे
ॐ माधवाय नमः
ॐ केशवाय नमः
ॐ गोविन्दाय नमः
ॐ ऋषिकेशाय नमः इस मंत्र का उच्चारण करते हुए अपने हाथों को धो ले।
इसके बाद सम्पूर्ण पूजन सामग्री आदि को निम्न मंत्र से जल छिड़कते हुए पवित्र करे
ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्ववस्थां गतोऽपिवा।
यः स्मेरत् पुण्डरीकाक्षं स वाहभ्यन्तरः शुचि।। 
इसके बाद स्वस्तीवाचन मंत्र मांगलिक श्लोक का पाठ करे,
इसके बाद संकल्प करे।
ऊँ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु अद्य ब्रम्हाणोऽहि द्वितीयपराधै श्री श्वेतवाराहकल्पै वैवस्वतमन्यन्तरेऽष्टाविंशतितमे
कलियुगे कलिप्रथमचरणे जम्वूद्वीपेभरतखण्डे भारतवर्षे
..स्थाने ....नामसंवत्सरे ...ऋतौ....मासे
....पक्षे..तिथौ....दिने...काले...गौत्रः...
श्री सत्यनारायणस्य पूजन कथा श्रृवणाख्य कर्म करिष्ये।
इसके बाद गणेश अंबिका नवग्रह पूजन करें। फिर भगवान शलिग्राम का पूजन करें।
सर्व प्रथम हाथ में अक्षत पुष्प लेकर भगवान श्री सत्यनारायण  का इस मंत्र को बोलते हुए ध्यान करें 
नमो‌‌ऽस्त्वनन्ताय सहस्त्रमूर्तये सहस्त्रपाटाक्षिशिरोरूवाहवे 
सहस्त्रनाम्ने पुरुषाय शाश्वते
सहस्त्रकोटी युगघारिणे नमः।
श्री सत्यनारायणाय नमः ध्यानार्थे पुष्पाणि समर्पयामि। (भगवान के सामने पुष्प छोड़ दें)
इसके बाद हाथ में पुष्प आदि लेकर भगवान श्री सत्यनारायण का आवाहन करें
आगच्छभगवन देव स्थानेचात्र स्थिरो भव।
यावत पूजां करिष्यामि तावत् त्वं संनिधौ भव।।
श्री सत्यनारायणाय नमः।
आवाहनार्थे पुष्पों समर्पयामि।
(आवाहन के लिए पुष्प चढ़ाएं)
इसके बाद भगवान श्री सत्यनारायण को पुष्पों का आसन दें।
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः।
आसनार्थे पुष्पाणि समर्पयामि (आसन के लिए पुष्प समर्पित करें)
फिर भगवान के पैरों को जल से धोए
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः।
पादयो: पाधं समर्पयामि।
इसके बाद फिर भगवान के ऊपर जल छिड़के, भगवान को अर्घ्य दें।
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः।
हस्तयोअघ्र्य समर्पयामि।
इसके बाद भगवान को आचमन के लिए जल चढाएं।
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः।
आचमनीयं एवं समर्पयामि।
इसके बाद भगवान को शुद्ध जल से स्नान कराएं।
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः।
स्न्नानीय जलं समर्पयामि।
भगवान को दूध से स्नान कराएं
श्री सत्यनारायणाय नमः।
पय‌‌: स्नान समर्पयामि। इसके बाद भगवान को शुद्ध जल से स्नान कराएं।
इसके बाद भगवान को दही से स्नान कराएं।
श्री सत्यनारायणाय नमः।
दधिस्नानं समर्पयामि।
इसके बाद भगवान को शुद्ध जल से स्नान कराएं।
इसके बाद भगवान को घी से स्नान कराएं। 
श्री सत्यनारायणाय नमः।
घृतस्न्नानं समर्पयामि।
इसके बाद भगवान को शुद्ध जल से स्नान कराएं।
इसके बाद भगवान को शहद से स्नान कराएं।
श्री सत्यनारायणाय नमः।
 मधुस्न्नानं समर्पयामि।
के बाद भगवान को शुद्ध जल से स्नान
कराएं।
उसके बाद भगवान को शक्कर से स्नान कराएं।
श्री सत्यनारायणाय नमः।
शर्करास्न्नानं समर्पयामि।
भगवान को पुनः शुद्ध जल से स्नान कराएं।
इसके बाद भगवान को पंचामृत से स्नान कराएं।
श्री सत्यनारायणाय नमः।
 पंचामृतस्न्नानं समर्पयामि।
इसके बाद पुनः भगवान को शुद्ध जल से स्नान कराएं।
इसके बाद भगवान को गंधोदक से स्नान कराएं।
श्री सत्यनारायणाय नमः।
गन्धोदकस्न्नानं समर्पयामि।
इसके बाद पुनः भगवान को शुद्ध जल से स्नान कराएं।
इसके बाद भगवान को वस्त्र चढ़ाएं।
 और एक आचमनी जल चढाएं।
ओम श्री सत्यनारायणाय नमः।
वस्त्रंसमर्पयामि।
 आचमनीयं जलं समर्पयामि।
इसके बाद भगवान को उप वस्त्र चढ़ाएं।
और एक आचमनी जल चढाएं।
श्री सत्यनारायणाय नमः।
उपवस्त्रं समर्पयामि।
आचमनीयं जलं समर्पयामि।
इसके बाद भगवान को यज्ञोपवीत चढ़ाएं।
इसके बाद एक आचमनी जल चढ़ाएं।
श्री सत्यनारायणाय नमः।
यज्ञोपवीतं समर्पयामि।
आचमनीयं जलं समर्पयामि।
भगवान को चंदन लगाएं।
श्री सत्यनारायणाय नमः।
 चंदनम समर्पयामि।
चंदन लगाने के बाद भगवान को स्वेत तिल अर्पित करें।
श्री सत्यनारायणाय नमः।
श्वेततिलान समर्पयामि।
फिर भगवान को पुष्प या पुष्प माला अर्पित करें।
श्री सत्यनारायणाय नमः।
पुष्पम पुष्पमाला च समर्पयामि।
इसके बाद भगवान को तुलसीदल अर्पित करें
श्री सत्यनारायणाय नमः।
तुलसीदलं तुलसीमञ्जरी च समर्पयामि।
के बाद भगवान को हरी दुव चढ़ाएं
श्री सत्यनारायणाय नमः।
दुर्वाकुरान समर्पयामि।
उसके बाद भगवान को आभूषण समर्पित करें।
श्री सत्यनारायणाय नमः।
अलड्करणार्थे आभूषणानि समर्पयामि।
इसके बाद भगवान को इत्र अर्पित करें।
श्री सत्यनारायणाय नमः।
सुगन्धिततैलादिद्रव्यं समर्पयामि।
इसके बाद भगवान को धूप अर्पित करें।
श्री सत्यनारायणाय नमः।
धूपमाघ़ापयामि।
के बाद भगवान को दीप दिखाएं
श्री सत्यनारायणाय नमः।
दीपं दर्शयामि।
द्वीप दिखाने  के बाद अपने हाथों को धो लें।
इसके बाद भगवान को तुलसीदल डालकर भोग लगाएं। और एक आचमनी जल छोड़ें।
श्री सत्यनारायणाय नमः।
नैवेधं निवेदयामि।
 आचमनीयं जलं समर्पयामि।
इसके बाद भगवान को पांच वार जल छोड़ें।ॐ प्रणाय स्वाह:
ॐ अपानाय स्वाहा:
ॐ व्यानाय ंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंस्वाहा:
ॐ उदानाय स्वाहा:
ॐ समानाय स्वाहा:
इसके बाद भगवान से प्रार्थना करें।
त्वदीयं वस्तु गोविन्दतुभ्यमेवसमर्पये।
गृहाण सुमुखोभूत्वा प्रसीद परमेश्वर।।
इसके बाद भगवान को ऋतुफल समर्पित करें और एक आचमनी जल छोड़ें।
श्री सत्यनारायणाय नमः।
अखण्डऋतुफलं समर्पयामि।
फलान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।
इसके बाद भगवान को ताम्बूल (पान लौंग इलायची) आदि अर्पित करें।
श्री सत्यनारायणाय नमः।
एलालवंगपूगीफलयुतं ताम्वूलं समर्पयामि।
इसके बाद भगवान को द्रव्य दक्षिणा अर्पित करें।
श्री सत्यनारायणाय नमः।
द्रव्यदक्षिणां समर्पयामि।
 इसके बाद श्री सत्यनारायण से प्रार्थना करें कि हे प्रभु हमने यथाशक्ति आपका पूजन किया है इसे स्वीकार करें एवं हमारे पूजन में अगर कोई त्रुटि हो तो उसे क्षमा करें।
सशड्खचक्रं सकिरीटकुण्डलं
सपीतवस्त्रं सरसीरुहेक्षणम्।
सहारवक्ष: स्थलकौस्तुभश्रियं
नमामि विष्णु विरसा चतुर्भुजम्।।
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्यनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकांतं कमलनयनं योगिभिध्यानगम्यं
वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।।
श्री सत्यनारायणाय नमः।
प्रार्थना समर्पयामि।
इसके बाद श्री सत्यनारायण व्रत कथा पुस्तक का पूजन कर कथा श्रवण करें कथा के बाद हवन पुष्पांजलि क्षमा प्रार्थना करें इसके बाद प्रसाद वितरण करें।

बुधवार, 23 फ़रवरी 2022

ध्यान मंत्र (Dhyan Mantra)

             १ श्री गायत्री ध्यानम
बालां विद्यां तु गायत्रीं लोहितां चतुराननाम्।
रक्ताम्बरद्वयोपेतामक्षसूत्रकरां तथा।।
कमण्डलुधरां देवी हंसवाहनसंस्थितां।
ब्राह्मणीं ब्रहम्दैवत्यां ब्रह्मलोकनिवासिनीम्।।
मन्त्रोणावाध्येद्देवीमायान्तीं सुर्यमण्डलात्।
               २ श्री भैरव ध्यानम्
करकलितकपालः कुंडली दंडपाणिः।
तरुणातिमिरनीलो व्याल यज्ञोपवीती।।
क्रतुसमयसपर्या विघ्नविच्छेद हेतुः।
जयति वटुकनाथः सिद्धिदःसाधकानाम्।।
              ३ श्री दुर्गा ध्यानम्
देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद प्रसीद मातर्जगतोखिलस्य।
प्रसीद विश्वेश्वरी पाहि विश्वंत्वमीश्वरी देवी
चराचरस्य।।
              ४ श्री राम ध्यानम्
नीलाम्वुजश्यामलकोमलांगं सीतासमारोपित बामभागम्।
पाणौ महासायकचारूचापं नमामि रामं रघुवंशनाथम्।।
              ५ श्री हनुमंत ध्यानम
मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रयं वुद्धिमतां वरिष्ठं।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपधे।।

शनिवार, 5 फ़रवरी 2022

मांगलिक श्लोक(ManglikShlok)

साथियों प्रत्येक शुभ पूजन में स्वस्तिवाचन औऱ मांगलिक श्लोक का अत्यधिक महत्व
होता है इन दोनों के बिना कोई भी शुभ पूजन पूर्ण नही माना जाता इसलिए प्रत्येक शुभ पूजन में स्वस्तिवाचन मंत्र के उपरांत मांगलिक श्लोक बोले जाते हैं, आज हम आपको मांगलिक श्लोक का पाठ लेकर आए हैं,
             ।। मांगलिक श्लोक।।
सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णकः।
लम्वोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायकः।।१।।
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचद्रो गजाननः।
द्वादशैतानि नामांनि यः पठेच्छृणुयादपि।।२।।
विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा।
संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते।।३।।
शुक्लाम्बरधरं देवं शशिवर्णं चतुभुर्जम्।
प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशानवतये।।४।।
अभिप्सितार्थ सिद्धार्थ पूजितो यः सुरासुरैः।
सर्वविघ्नहरस्तस्मै गणाधिपतये नमः।।५।।
सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वथिसाधिके।
शरण्ये त्रयंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।६।।
सर्वदा सर्वकार्येषु नास्ति तेषां मङ्गलं।
येषां हिर्दयस्थो भगवान मङ्गलायतनो हरि।।७।।
तदेव लग्नं सुदिनं तदेव ताराबलं चन्द्रबलं तदेव।
विद्याबलं देवबलं तदेव लक्ष्मीपति तेऽड्घ्रियुगं स्मरामि।।८।।
लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः।
येषांमिन्दीवरश्यामो ह्रदयस्थो जनार्दनः।।९।।
यत्र योगेश्वर कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः।
तत्र श्री विजयो भूतिध्रुवा नीतिर्मतिर्मम।।१०।।
सर्वेष्वारम्भ कार्येषु त्रयस्त्रिभुवेन्श्वराः।
देवा दिशन्तु नः सिद्धिं ब्रम्हेशान जनार्दनः।।११।।
विश्वेशं माधवं ढुण्डिं दण्डपाणिं च भैरवम्।
वन्दे काशी गुहां गङ्गा भवानी मणिकर्णिकाम्।।१२।।
श्रीमन्महागणाधिपतये नमः। लक्ष्मीनारायणाभ्यां नमः।
उमामहेश्वराभ्यां नमः।
वाणीहिरण्यगर्भाभ्यां नमः।
शचीपुरन्दराभ्यां नमः।
मातृपितृचरणकमलेभ्यो नमः।
इष्टदेवताभ्यो नमः।
कुलदेवताभ्यो नमः।
ग्रामदेवताभ्यो नमः।
वास्तुदेवताभ्यो नमः।
स्थानदेवताभ्यो नमः।
सर्वेभ्यो देवेभ्यो नमः।
सर्वेभ्यो ब्राह्मणेभ्यो नमः।
ॐ सिद्धिवुद्धिसहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये नमः।

शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2022

सम्पूर्ण स्वस्तिवाचन मंत्र (svastivachan mantra)

साथियों आज हम आपको बताने जा रहे हैं सम्पूर्ण स्वस्तिवाचन मंत्र जिसके बिना हर शुभ पूजन अधूरा माना जाता है, और पूजन का पूर्ण फल प्राप्त नही होता, इसलिए हर शुभ पूजन में स्वस्तिवाचन का पाठ होना अति आवश्यक है।
              ।।स्वस्तिवाचन मंत्र।।
आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतोऽदब्धासो अपरीतास उभ्दिदः।
देवा नो यथा सदमिद् वृधे असन्नप्रायुवो रक्षितारो दिवे दिवे।।१।।
देवानां भद्रा सुमतिऋजयतां देवानां गुंग रातिरभि नो निवर्तताम्।
देवानां गुंग सख्यमुसेदिमा वयं देवा ने आयुः प्रतिरन्तु जीवसे।।२।।
तान्पूर्वया निविदा हूमहे वयं भगं मित्रमदिति दक्षमस्त्रिधम्।
अर्यमणं वरुण गुंग सोममश्विना सरस्वती नः सुभगा मयस्करत्।।३।।
तन्नो वातो मयोभु वातु भेषजं तन्माता पृथ्वी तत्पिता द्यौः।
तद् ग्रावाणः सोमसुतो मयोभुवस्तदश्विना श्रृणुतं धिष्ण्या युवम्।।४।।
तमीशानं जगतस्तस्थुषस्पति धियञ्ञिवमवसे हूमहे वयम्।
पूषा नो यथा वेदसामसद् वृधे रक्षिता पायुरदब्धः स्वस्तये।।५।।
स्वस्ति न इन्द्रो वृध्दश्रवाः स्वस्ति नः पुषा विश्ववेदाः स्वस्ति नस्ताक्ष्यो अरिष्टनेमिः स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु।।६।।
पृषदश्वा मरुतः पृन्श्रिमातरः शुभं यावानो विदधेषु जग्मयः।
अग्निजिह्म मनवः सूरचक्षसो विश्व नो देवा अवसागमन्निह।।७।।
भद्रं कर्णेभिः श्रृणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः।
स्थिरैरङ्गेस्तुष्टुवा गुंग सस्तनूभिव्-र्यशेमहि देवहितं यदायुः।।८।।
शतमिन्नु शरदो अन्ति देवा यत्रा नश्चका जरसं तनूनाम।
पुत्रसो यत्र पितरो भवन्ति मा नो मध्या रीरिषतायुर्गन्तो।।९।।
अदितिद्यौरदितिरन्तरिक्षमदितिर्माता स पिता स पुत्रः विश्वे देवा अदितिः पञ्च् जना अदितिर्जातमदितिजीनित्वम्।।१०।।
द्यौः शान्तिन्ततरिक्ष गुंग ॐ शान्तिः पृथिवी शान्तिराषः शान्तिरोषधयः शान्ति।
वनस्पतयः शान्तिविश्वे देवाः
शान्तिब्रम्ह शान्तिः सर्व गुंग शान्ति शान्तिरेव शान्तिः सा मा शान्तिरेधि।।११।।
यतो यतः समीहसे ततो नो अभयं कुरु।
शं नः कुरु प्रजाभ्योऽभयं नः पशुभ्यः।।१२।।
ॐ गणानांत्वा गणपति गुंग हवामहे प्रियाणांत्वा प्रियपति गुंग हवामहे निधीनांत्वा निधिपति गुंग हवामहे वसोमम आहमजानि गर्भधमा त्वमजासि गर्भधम्।।
ऊँ अम्बे अम्विकेऽम्वालिके न मा नयति कश्चन।
ससस्त्यश्वकः सुभाद्रिकांकाम्पीलवासिनीम्

विश्व मैं सर्वाधिक बड़ा, छोटा, लंबा एवं ऊंचा

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