नवरात्रि २अप्रैल २०२२
कलश स्थापना शुभ मुहूर्त- सूर्योदय से लेकर सुबह ८:३० मिनट तक।
अभिजित मुहूर्त- दोपहर ११:४२ मिनट से,
१२:०३ मिनट तक।
सबसे पहले जिस स्थान पर कलश स्थापित करना है उसे गाय के गोबर से लीप कर या जल से धो कर शुद्ध करें इसके बाद कलश स्थापित करे।
कलश पूजन मंत्र
इसके बाद- हाथ में चावल लेकर आवाहन करें।
अस्मिन कलशे वरुणं साङ्गम सपरिवारं सायुधं सशक्तिकमावाहयामि। ॐ भूर्भुवः स्वः भो वरुण! इहागच्छ इह तिष्ठ, स्थापयामि पूजयामि मंमं पूजां गृहाण।। ॐ अपां पतये वरूणाय नमः। चावल को कलश देवता पर छोड़ दें। पुनः वाएं हाथ में चावल लेकर निम्न मंत्र बोलते हुए दांए हाथ से कलश देवता पर छोड़ते जाएं।
कलशस्य मुखे बिष्णुः अण्डे रुद्राः समाश्रिताः। ः
मूले त्वस्य स्थितो ब्राह्म मध्ये मातृगणाः स्मृताः।।
कुक्षो तु सागरः सर्वे सप्तद्वीपा वसुंधरा।
ऋग्वेदोऽथ यजुर्वेदः सामवेदो ह्मथर्वण।।
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिंधु कावेरी जलेऽस्मिन्सन्निधि कुरू।।
सर्वे समुद्राः सरितस्तीर्थान जलेदा नदाः।।
इसके बाद कलश देवता पर हाथ रख कर प्रतिष्ठा करें निम्न मंत्र को बोलते हुए
कलशे वरुणाद्यावाहितदेवताः सुप्रतिष्ठितां वरदा भवन्तु। वरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नमः।। इसके बाद कलश देवता का उपस्थित सामग्री से पूजन करें।।
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