जो सुमिरत सिद्ध होय गण नायक करिवर बदन।
करहुँ अनुग्रह सोई बुद्धि राशि शुभ गुण सदन।।
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मूक होई वाचाल पंगु चढ़ाई गिरिवर गहन।
जासु कृपासु दयाल द्रवहु सकल कलिमल दहन।।/div>
नील सरोरुह श्याम तरुन अरुन वारिज नयन।
करहु सो मम उर धाम सदा क्षीरसागर सयन।।
कुंद इंदु सम देह उमा रमन करुणा अयन।
जाहि दिन पर नेह करहुँ कृपा मर्दन मयन।।
बंदहु गुरुपद कंज कृपा सिंधु नर रूप हरि।
महा मोह तम पुंज जासु वचन रविकर निकर।।
बंदहु मुनिपद कंज रामायन जेहि निर मयऊ।
सखर सुकोमल मंजु दोष रहित दूषन सहित।।
बंदहु चारहु वेद भव वारिध वो हित सरिस।
जिनहि न सपनेहु खेद बरनत रघुपति विमल यश।।
बंदहु विधि पद रेनु भवसागर जिन कीन्ह यह।
संत सुधा शशि छेनू प्रगटे खल विष बारुनी।।
बंदहु अवध भुआल सत्य प्रेम जेहि राम पद।
बिछुरत दीनदयाल प्रिय तनु तृन ईव पर हरेऊ।।
बंदहु पवन कुमार खल वन पावक ज्ञान घन।
जासु ह्र्दय आगार बसहि राम सर चाप धर।।
राम कथा के रसिक तुम, भक्ति राशि मति धीर।
आय सो आसन लीजिये, तेज पुंज कपि वीर।।
रामायण तुलसीकृत कहऊ कथा अनुसार।
प्रेम सहित आसन गहऊ आवहु पवन कुमार।।
।। सियावर रामचंद्र जी की जय ।।
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बहुत बहुत साधुवाद
जवाब देंहटाएंSundar kanad
जवाब देंहटाएंJai Shri ram
जवाब देंहटाएंThanks Jay shree ram
जवाब देंहटाएंजय श्री राम
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएंजय श्रीराम