साथियों आज के इस अंक में हम आपको किसी भी पूजन में आरती के समय होने वाले आरती मंत्र, मंत्र पुष्पांजलि, क्षमा प्रार्थना, एवं परिक्रमा मंत्र के बारे में जानकारी देंगे।।
आरती मंत्र
ॐ इद गुं हवि: प्रजननं में अस्तु दशवीर गुं सर्वगण गुं स्वस्तये।आत्मसनि प्रजा संधि पशुसनि लोकसन्यभयसनि।
अग्नि: प्रजां वहुलां में करोत्वन्नं पयो रे तो अस्मासु धत्त।।
ॐ आ रात्रि पार्थिव गुं रज: पितृरप्रायि धामभि:।
दिव: सदा गुं सि वृहती वि तिष्ठस आ त्वेषं वर्तते तम:।।
कदलिगर्भ सम्भूतं कर्पूरं तु प्रदीपितम्।
आरार्तिकहं कुर्वे पश्य में वर्षों भव।।
पुष्पांजली मंत्र
ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन्।
ये ह नाकं महिमान: सचन्त यत्र पूर्वे साध्या: सन्ति देवा:।।
ॐ राजाधिराजाय प्रसह्म साहिने नमो वयं वैश्रवणाय कुर्म हे स में कामान कामकामाय मह्मं कामेश्वरी वैश्रवणो ददातु।।
कुवेराय वैश्रवणाय महाराजाय नमः।।
ॐ विश्वतश्चक्षुरुत विश्वतोमुखो विश्वतोवाहुरुत।
विश्वासपात् सं वाहुभ्यां धमति सं पतत्रैर्धावाभूमि जनयन देव एक:।।
सेबन्तिका वकुल चम्पक पाटलाब्जै: पुन्नाग जाति करवीर रसाल पुष्पै:।।
बिल्व प्रवाल तुलसीदल मंजरीभि: त्वां पूजयामि जगदीश्वर मैं प्रसीद।।
नानासुगन्धिपुषृपाणि यथाकालोद्ववानि च पुष्पाञ्जलिर्मया दत्त गृहाण परमेश्वर।।
क्षमा प्रार्थना मंत्र
आवाहनन्जानामि न जानामि तर्वाचनम्।
पूजा श्चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वर।।
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वर।
यत्पूजितं मया देव परिपूर्ण तदस्तु में।।
परिक्रमा मंत्र
यानि कानि च पापानि जनमान्तरकृतानि च।
तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणा पदे पदे।।
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