१ चोर चोर मौसेरे भाई = बुरे लोग समान होते हैं।
२ हाथी के दांत खाने के कुछ और दिखाने के कुछ और = दोहरा चरित्र
३ नाको चने चवाना = परेशान करना
४ अंधे पीसे कुत्ते खाऐ = लापरवाही करना
५ अंधों में काना राजा = मूर्खो के बीच अल्पज्ञानी होना।
६ ऊट की चोरी न्योर न्योर कर नही होती = राज न छिपना।
७ लमथनू और दुधार पैसा कम और उधार = कम कीमत में अच्छी वस्तु की इच्छा।
८ गुड होता तो गुलगुले बनाते तेल मंगाते उधार मगर आटा नही है = कुछ न होते हुए भी बहुत कुछ की इच्छा रखना।
९ पेड़ी भली न कोस की, सुता भली न एक, कर्जा भलौ न बाप को जो विधि राखे टेक = यात्रा थोड़ी भी भली नही होती,
बेटी एक भी अच्छी नही होती (अगर वह कुलटा हो), और कर्ज चाहे पिता से ही क्यो न लिया गया हो अच्छा नहीं होता है।
१० देह जाने पाप पुण्य आप जाने आपदा, गीता का ज्ञान कृष्ण जाने माता जाने को पिता
इंसान स्वयं ही अपने पाप पुण्य को जानता है, दुख को दुख सहने वाला ही जानता है, गीता के गूढ़ रहस्य भगवान कृष्ण ही जानते हैं, माता ही बच्चे के पिता को जानती है।
११ लड़के से लड़की भली दो कुलवंती होय, नाम उछारे माई बाप को देश बढ़ाई होय
अगर लड़की कुलवंती है तो लड़के से ज्यादा माता पिता का नाम रोशन कर सकती हैं क्योंकि लड़का तो एक कुल से जुड़ा हुआ होता है जबकि लड़की दो कुल से।
१२ लड़का वो मर जाय जो कुल में दाग लगाऐ,
ब्राह्मण वो मर जाय जो मदिरा पीवे और खो प्यावै,
क्षत्रिय वो मर जाय जो रण में पीठ दिखावै।।
१३ प्याज की गांठ खो बार हजारक सिंधु की धार में धोय मंगाई,
केसर की पुट लाखिन दीन्ही मगर जब खोली सो वास प्याज की आयी।
१४ फूल्हि फल्हि न बैत यथपि सुधा बरसहि जलद,
मूर्ख हृदय न चेत जो गुरु मिलहि बिरंच सम।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें