शुक्रवार, 29 जुलाई 2022

काल रूपी तलवार सब के ऊपर लटक रही है

एक बार राजा जनक जी से एक ब्राह्मण ने प्रश्न किया कि महाराज आप राजा होकर भी माया से दूर कैसे रहते हैं, राजा जनक जी ने उस ब्राह्मण को समझा कर कहा कि हे ब्राह्मण ! मैं आपके लिए समय आने पर इसका उत्तर दूंगा। कुछ दिन के बाद राजा जनक ने उस ब्राह्मण के लिए अपने महल में भोजन के लिए आमंत्रित किया। तरह तरह के पकवान बनाए गए बहुत ही स्वादिष्ट एवं ब्राह्मण को एक कक्ष में बैठा दिया गया सारी सुविधाएं ब्राह्मण के लिए दी गई और बहुत सी महिलाएं उनके लिए  हवा कर रही थी। और ब्राह्मण के सामने भोजन रखे हुए थे पर राजा जनक ने क्या किया की जहां पर ब्राह्मण बैठे हुए थे उसके ऊपर एक पतली रस्सी से एक धारदार तलवार बांध दी। जैसे ही ब्राह्मण का ध्यान उन पर बंधी हुई तलवार पर गया तो वह तलवार बहुत ही कमजोर रस्सी से बंधी हुई थी तो ब्राह्मण का सारा ध्यान भोजन से छूट गया ब्राह्मण खाना तो खा रहे थे पर देख रहे थे उस  तलवार के लिए कि कहीं यह तलवार टूट कर गिर ना जाए ऊपर, सारा समय ब्राह्मण उस तलवार को ही देखते रहे जैसे तैसे भोजन समाप्त कर राजा जनक के पास पहुंचे, राजा ने ब्राह्मण से पूछा कि हे ब्राह्मण भोजन कैसे थे खीर कैसी बनी थी मिठाईयां कैसी थी सुख सुविधाएं कैसी थी कैसा लगा आपको आप प्रसन्न  तो है न । ब्राह्मण बोला अरे महाराज सारा समय उस तलवार को देखने में ही निकल गया मुझे तो पता ही नहीं चला कि भोजन कैसे हैं कैसा इनका स्वाद है क्या है बस मै सारा समय यही देखता रहा कि कहीं यह तलवार टूट के ऊपर न गिर जाए नहीं तो मेरी मृत्यु निश्चित है। राजा जनक ने मुस्कुरा कर जवाब दिया कि हे ब्राह्मण ! यही आपके प्रश्न का उत्तर है उस दिन आपने मुझसे जो प्रश्न किया था कि महाराज आप इतनी सारी सुख सुविधाएं होते हुए भी ऋषियों जैसा जीवन कैसे व्यतीत करते हैं। हे ब्राह्मण श्रेष्ठ मै प्रति पल उस काल रुपी तलवार को अपनी गर्दन पर लटकते हुए देखता हूं। इसलिए मुझे माया में आसक्ति नहीं होती है।

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