सर्वप्रथम किसी भी देवता का पूजन करने से पहले पवित्रीकरण मंत्र के द्वारा जल लेकर पूजन सामग्री को शुद्ध किया जाता है।।
पवित्रीकरण मंत्र
ॐ अपवित्र पवित्रो वा सर्वावस्था गतोऽपिवा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं सःवाहय्न्यन्तरः शुचि।।
पवित्रीकरण के बाद में आचमन किया जाता है तो निम्न मंत्रों को बोलते हुए तीन बार आचमन करें और चौथी बार हाथ में जल लेकर निम्न मंत्र को बोलते हुए अपने हाथों को धो लें।
आचमन मंत्र
ॐ माधवाय नमः
ॐ केशवाय नमः
ॐ गोविंदाय नमः
ॐ ऋषिकेशाय नमः इस मंत्र को बोलते हुए अपने हाथ धो ले। इसके बाद निम्न मंत्र को बोलते हुए अपने आसन को शुद्ध करें
आसन शुद्धि मंत्र
विनियोग- पृथ्वीति मंत्रस्य मेरू पृष्ठ ऋषिः सुतलं छन्दःकुर्मो देवता आसने बिनियोगः।।
मंत्र- पृथ्वी त्वा धृतालोका देवी त्वं बिष्णुना धृता।
त्वं च धारय मां देवी पवित्रं कुरू चासनम्।।
आसन शुद्धि के बाद में अपनी शिखा को निम्न मंत्र बोलते हुए बांधले और अगर शिखा ना हो तो अपने सर को एक रुमाल से ढक ले
शिखा वंदन मंत्र
चिद्रूपिणि! महामाये! दिव्यतेजः समन्विते। ःः
तिष्ठ देवी! शिखामध्ये तेजोवृद्धि कुरुष्व में।।
शिखा बंधन के पश्चात स्वस्तिवाचन मंत्र मांगलिक श्लोक नवग्रह पूजन कलश पूजन आदि किया जाता है जिस जिसके बारे में हम पिछले अंक में बता चुके हैं।।
इसके बाद में कर्म पात्र पूजन किया जाता है तो निम्न मंत्र को बोलते हुए कर्म पात्र का पूजन करें
कर्मपात्र पूजन मंत्र
गंगे च यमुने चैन गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिंधु कावेरी जलेऽस्मिन्सन्निधि कुरू।।
ॐ अपांपतये वरूणाय नमः। सर्वोपचारार्थे
गन्धाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि नमस्करोमि।।
इसके बाद पृथ्वी माता का पूजन करें
पृथ्वी पूजन मंत्र
पृथ्वी त्वया धृतालोका देवी त्वं बिष्णुना धृता।
त्वं च धारय मां देवी पवित्रं कुरू चासनम्।।
ॐ आधारशक्तये पृथिव्ये नमः। कमलासनाये नमः।
इसके बाद दीपक स्थापित करें।
दीपस्थानम् मंत्र
भो दीप देवरूपस्त्वं कर्मसाक्षी ह्मविध्नकृत्।
यावत्कर्मसमाप्तिः स्यादतावत्वं सुस्थिरो भव।। इसके बाद शंख देवता का पूजन करें
शंख पूजन मंत्र
त्वं पुरासागरोत्पन्नो विष्णुना विधृतः करें।
निर्मितः सर्वदेवश्च पाञ्चजन्य नमोऽस्तुते।।ॐ भूर्भुवः स्वः शंड्खस्थदेवाय नमः। ः ःः
इसके बाद घण्टा (गरूड़) देवता का पूजन करें
घण्टा (गरूड़) पूजन मंत्र
आगमार्थ तु देवानां गमनार्थ च रक्षसाम्।
कुरू घण्टे वरं नादं देवतास्थान सन्निधौ।।
ॐ भूर्भुवः स्वः घण्टास्थिताय गरूडाय नमः।
किसी भी देवता का पूजन करने से पहले
सर्वप्रथम उन देवता की स्थापना (प्रतिष्ठा) की जाती है।
प्रतिष्ठा मंत्र
अस्यै प्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणाःक्षरन्तु च।
अस्यै देवत्वमर्चायै मामहेति च कश्चन ।। इसके पश्चात भगवान को दूध दही घी शहद शुद्धोधन आदि से स्नान करवाते हैं तो स्नान के मंत्र निम्न प्रकार से हैं
स्नान मंत्र (दुग्ध)
कामधेनुसमुद्भूतं सर्वेषां जीवनं परम्।
पावन यज्ञहेतुश्च पयः स्नानार्थमर्पितम्।।
इसके बाद भगवान को शुद्ध जल से स्नान कराएं और इसके बाद भगवान को दधि (दही) से स्नान कराएं
दधिस्नान(दही) मंत्र
पयसस्तु समुद्भूतं मधुराम्लं शशिप्रभम्।
दध्यानीतं मया देव स्नानार्थ प्रतिगृह्मताम्।। पुनः भगवान को शुद्ध जल से स्नान कराएं, इसके बाद भगवान को शुद्ध घी से स्नान कराएं
घृत स्नान मंत्र
नवनीतसमुत्पन्नसर्वसंतोषकारकम्।
घृतं तुभ्यं प्रदास्यामि स्नानार्थ प्रतिगृह्मताम्।। इसके बाद भगवान को शुद्ध जल से स्नान कराएं। पुनः मधु से स्नान कराएं
मधु स्नान मंत्र
पुष्परेणुसमुदद्भूतं सुस्वादु मधुरं मधु।
तेजः पुष्टिकरं दिव्यं सनानार्थ प्रतिगृह्मताम्।।
इसके बाद भगवान को शुद्ध जल से स्नान कराएं, तत्पश्चात भगवान को शर्करा स्नान कराएं
इक्षुरसमुद्भूतां शर्कराएं पुष्टिदायक शुभाम्।
मलापहारिकां दिव्यं स्नानार्थ प्रतिगृह्मताम्।।
पुनः भगवान को शुद्ध जल से स्नान कराएं, तत्पश्चात भगवान को पञ्चामृत से स्नान कराएं
पञ्चामृतस्नान मंत्र
पञ्चामृतं मयनीतं पयो दधि घृतं मधु।
शर्करया समायुक्तं स्नानार्थ प्रतिगृह्मताम्।।
पुनः भगवान को शुद्ध जल से स्नान कराएं, इसके बाद भगवान को शुद्ध जल मैं चंदन कुमकुम आदि डालकर भगवान को शुध्दोदकस्नान कराएं
गंगा च यमुना चैन गोदावरी सरस्वती।
नर्मदासिन्धुकावेरी स्नानार्थ प्रतिगृह्मताम्।।
इसके बाद भगवान को शुद्ध जल से स्नान कराएं।। इसके बाद भगवान को वस्त्र चढ़ाएं
वस्त्र चढ़ाने का मंत्र
शीतवातोष्णसंत्राणं लज्जाया रक्षणं परम्।
देहालड्करणं वस्त्रमतः शान्ति प्रयच्छ में।।
वस्त्र चढ़ाने के बाद भगवान को एक आचमनी जल चढाएं। इसके बाद भगवान को उपवस्त्र चढ़ाएं और एक आचमनी जल छोड़ें
उप वस्त्र चढ़ाने का मंत्र
यस्याभावेन शास्त्रोक्तं कर्म किञ्चन्न सिद्धयति।
उपवस्त्रं प्रयच्छामि सर्वकमोपकारकम्।।
इसके बाद भगवान को यज्ञोपवीत चढ़ाएं और एक आचमनी जल छोड़ें
यज्ञोपवीत मंत्र
नवभिस्तन्तुभिर्युक्तं त्रिगुणं देवतामयम्।
उपवीतं मया दत्ता गृहाण परमेश्वर।। इसके बाद भगवान को चंदन लगाएं
चंदन लगाने का मंत्र
श्रीखण्डं चन्दनं दिव्यं गन्धाढयं सुमनोहरम्।
विलेपनं सुरश्रेष्ठ! चन्दनं प्रतिगृह्मताम्।।
इसके बाद भगवान को अक्षत (चावल) चढ़ाएं
अक्षत (चावल) चढ़ाने का मंत्र
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कुड्कुमाक्ताः सुशोभिताः।
मया निवेदिता भक्त्याः गृहाण परमेश्वर।।
इसके बाद भगवान को पुष्पमाला या पुष्प अर्पित करें
पुष्प माला (पुष्प) चढ़ाने का मंत्र
माल्यादीनी सुगन्धीनि मालत्यादीनी वै प्रभो।
मयाहृतानि पुष्पाणि पूजर्थि प्रतिगृह्मताम्।।
इसके बाद भगवान को हरि हरि दूव चढ़ाएं
दूव चढ़ाने का मंत्र
दुर्वाड्कुरान सुहरितानमृतान मंगलप्रदान।
आनीतांस्तव पुर्जार्थ गृहाण गणनायक।।
इसके बाद भगवान को सिन्दूर चढ़ाएं
सिन्दूर चढ़ाने का मंत्र
सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्।
शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्मताम्।।
इसके बाद भगवान को अबीर गुलाल चढ़ाएं
अबीर (गुलाल) चढ़ाने का मंत्र
अबीरं च गुलालं च हरिद्रादिसमन्वितम्।
नाना परिमलं द्रव्यं गृहाण परमेश्वर।।
इसके बाद भगवान को धूप दिखाएं
धूप दिखाने का मंत्र
वनस्पतिरसोद्भूतो गन्धाढयो गन्ध उत्तमः।
आनेयः सर्वदेवानां धूपोऽयं प्रतिगृह्मताम्।।
इसके बाद भगवान को दीप दिखाएं और अपने हाथों को धो लें,
दीप दिखाने का मंत्र
भक्त्या दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने।
त्राहि मां निरयाद् धोराद् दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते।।
दीप दिखाने के बाद भगवान को भोग लगाएं और एक आचमनी जल छोड़ें
भोग लगाने का मंत्र
शर्कराखण्ड्खद्यानि दधिक्षीरघृतानि च।
आहारं भक्ष्यभोज्य च नैवेद्यं प्रतिगृह्मताम।।
भोग लगाने के बाद भगवान को ऋतुफल समर्पित करें और एक आचमनी जल छोड़ें
ऋतुफल चढ़ाने का मंत्र
इदं फलं मया देव स्थापितं पुरतस्तव।
तेन में सफलावाप्तिर्भवेज्जन्मनि जन्मनि।।
इसके बाद भगवान को करोद्धर्तन चंदन लगाएं
करोद्धर्तन चंदन
चन्दनं मलयोद्भूतं कस्तूर्यादिसमन्वितम्।
करोद्धर्तनकदेव गृहाणपरमेश्वर।।
इसके बाद भगवान को पान सुपारी लौंग इलायची आदि अर्पित करें
ताम्वूल चढ़ाने का मंत्र
पूगीफलं महादिव्यं नागवल्लीदलैर्यतम्।
एलादिचूर्णसंयुक्तं ताम्वूलं प्रतिगृह्मताम्।।
इसके बाद भगवान को दक्षिणा अर्पित करें
दक्षिणा चढ़ाने का मंत्र
ॐ हिरण्यगर्भ समवर्तताग्रे भूतस्य जातः पतिरेक आसीत्।
स दाधार पृथ्वी द्यामुतेमां कस्मै देवाय हविषा विधेम्।।
इसके बाद भगवान से क्षमा प्रार्थना करें क्षमा प्रार्थना के लिए मैंने पिछले अंक आरती पुष्पांजलि मैं बताया है आप वहां से इन मंत्रों को बोल सकते हैं ।