मम दर्शन फल परम् अनूपा,
जीव पाय निज सहज स्वरूपा।।
अर्थात भगवान के दर्शन का फल यही है कि आप अपने सहज स्वरूप को जान ले।
और जिस दिन आप अपने सहज स्वरूप को जान जायेगे तो समझिए कि आपको भगवान के दर्शन का फल प्राप्त हो गया,
वैसे भी मानस में आया है कि ईश्वर अंश जीव अविनाशी, चेतन विमल सहज सुख राशि।। ईश्वर तो हर जीव के अंदर विधमान है। वो थे न मुझसे दूर न मैं उन से दूर था, आता न था नजर तो नजर का कसूर था।।
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