बुधवार, 23 जून 2021

भगवान के दर्शन का फल

रामचरित मानस में स्वयं भगवान ने आपने दर्शन का फल बताया है- 
मम दर्शन फल परम् अनूपा,
जीव पाय निज सहज स्वरूपा।।
अर्थात भगवान के दर्शन का फल यही है कि आप अपने सहज स्वरूप को जान ले।
और जिस दिन आप अपने सहज स्वरूप को जान जायेगे तो समझिए कि आपको भगवान के दर्शन का फल प्राप्त हो गया,
वैसे भी मानस में आया है कि ईश्वर अंश जीव अविनाशी, चेतन विमल सहज सुख राशि।। ईश्वर तो हर जीव के अंदर विधमान है। वो थे न मुझसे दूर न मैं उन से दूर था, आता न था नजर तो नजर का कसूर था।।
जिस प्रकार बहुत सारे वर्तन में हम पानी भरते हैं तो वर्तन तो भिन्न भिन्न होते हैं किंतु उनमे पानी एक ही होता है। कबीर जी ने भी इसका एक सुंदर उदाहरण दिया है- कबीरा पानी एक है वर्तन है अनेक न्यारे न्यारे वर्तन में पानी एक को एक। इसलिए सब कहा गया है कि सब रोगों की एक दवाई आपने आपको जानो भाई।

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