गुरुवार, 6 मई 2021

सारा संसार किसका है?

किसी गाँव मे एक एक महात्मा रहते थे। वे बड़े ही शांत, धीर, और हर एक घटना में परमात्मा की इच्छा को देखते थे। उनके चर्चे बहुत दूर दूर तक फैले हुए थे। एक दिन एक व्यक्ति महात्मा के पास आया और बोला हे महात्मा ! मैं आपका शिष्य बनना चाहता हूँ कृपया मुझे अपनी शरण मे ले महात्मा बोले- ठीक है आज से तू मेरा शिष्य बन गया। व्यक्ति बोला- परन्तु महात्मा जी मैं चोरी करता हूँ, महात्मा बोले- कोई बात नही। व्यकि बोला - महात्मा जी मैं मास, मदिरा का सेवन करता हूँ। महात्मा बोले- कोई बात नही। व्यकि बोला - महात्मा जी मैं व्यभिचारी हूँ, लूटपाट करता हूँ, यहाँ तक कि धन के लिए लोगो की हत्या तक कर देता हूँ। महात्मा बोले- ठीक है कोई बात नही।
महात्मा की बात सुनकर वह व्यक्ति महात्मा के चरणों मे गिर गया और बोला- महात्मा जी मैंने आपको अपनी सारी बुराई बताई इसके बाद भी आप मुझे अपना शिष्य स्वीकार कर रहे हैं ऐसा क्यों? 
महात्मा बोले - ये पृथ्वी किसकी है?
व्यक्ति बोला -भगवान की
महात्मा बोले- ये वायु, जल ,अकाश, सुर्य, चंद्रमा, अन्न सब किसके हैं?
व्यकि बोला- सब भगवान के है।
महात्मा बोले- जब सब कुछ उस परमपिता का है और उसको तुमसे कोई परेशानी नही तो मैं उसके निर्णय के विरुद्ध जाकर क्यो उसके निर्णय पर उंगली उठाऊ।
अगर उसको तुमसे परेशानी होती तो वह क्षण भर में तेरी सांसे रोक देता। मैं कौन होता हूँ उसके निर्णय के विरुद्ध जाने वाला।
वह व्यक्ति महात्मा के चरणों मे पड़ गिड़गिड़ाने लगा।
और एक अच्छा शिष्य औऱ नगरिक बन गया।

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