शुक्रवार, 25 मार्च 2022

कलश स्थापना मंत्र (Kalash Sthapna Mantra)

साथियों आज के इस अंक में हम आपको नवरात्रि पर्व कब है? कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त कब से कब तक है? किन मंत्रों के द्वारा कलश स्थापित करें? इन प्रश्नों के उत्तर देंगे तो आइए शुरू करते हैं।
           नवरात्रि २अप्रैल २०२२
कलश स्थापना शुभ मुहूर्त- सूर्योदय से लेकर सुबह ८:३० मिनट तक।
अभिजित मुहूर्त- दोपहर ११:४२ मिनट से,
१२:०३ मिनट तक।
सबसे पहले जिस स्थान पर कलश स्थापित करना है उसे गाय के गोबर से लीप कर या जल से धो कर शुद्ध करें इसके बाद कलश स्थापित करे।
               कलश पूजन मंत्र
इसके बाद- हाथ में चावल लेकर आवाहन करें।
अस्मिन कलशे वरुणं साङ्गम सपरिवारं सायुधं सशक्तिकमावाहयामि। ॐ भूर्भुवः स्वः भो वरुण! इहागच्छ इह तिष्ठ, स्थापयामि पूजयामि मंमं पूजां गृहाण।। ॐ अपां पतये वरूणाय नमः। चावल को कलश देवता पर छोड़ दें। पुनः वाएं हाथ में चावल लेकर निम्न मंत्र बोलते हुए दांए हाथ से कलश देवता पर छोड़ते जाएं।
कलशस्य मुखे बिष्णुः अण्डे रुद्राः समाश्रिताः। ः   
मूले त्वस्य स्थितो ब्राह्म मध्ये मातृगणाः स्मृताः।।
 कुक्षो तु सागरः सर्वे सप्तद्वीपा वसुंधरा।
ऋग्वेदोऽथ यजुर्वेदः सामवेदो ह्मथर्वण।।
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिंधु कावेरी जलेऽस्मिन्सन्निधि कुरू।।
सर्वे समुद्राः सरितस्तीर्थान जलेदा नदाः।।
इसके बाद कलश देवता पर हाथ रख कर प्रतिष्ठा करें निम्न मंत्र को बोलते हुए
कलशे वरुणाद्यावाहितदेवताः सुप्रतिष्ठितां वरदा भवन्तु। वरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नमः।। इसके बाद कलश देवता का उपस्थित सामग्री से पूजन करें।।

बुधवार, 23 मार्च 2022

सर्व देव पूजन मंत्र ( Sarv Dev Pujan Mantra)

आज के इस अंक में हम आपको ऐसे मंत्रों के वारे में बतायेगे जिन के द्वारा आप किसी भी देवता का पूजन कर सकते हैं। आज हम आपको बता रहे हैं वह लौकिक मंत्र।।
सर्वप्रथम किसी भी देवता का पूजन करने से पहले पवित्रीकरण मंत्र के द्वारा जल  लेकर  पूजन सामग्री को शुद्ध किया जाता है।।
               पवित्रीकरण मंत्र
ॐ अपवित्र पवित्रो वा सर्वावस्था गतोऽपिवा। 
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं सःवाहय्न्यन्तरः शुचि।।
पवित्रीकरण के बाद में आचमन किया जाता है तो निम्न मंत्रों को बोलते हुए तीन बार आचमन करें और चौथी बार हाथ में जल लेकर निम्न मंत्र को बोलते हुए अपने हाथों को धो लें।
                   आचमन मंत्र
ॐ माधवाय नमः
ॐ केशवाय नमः
ॐ गोविंदाय नमः
ॐ ऋषिकेशाय नमः इस मंत्र को बोलते हुए अपने हाथ धो ले। इसके बाद निम्न मंत्र को बोलते हुए अपने आसन को शुद्ध करें
                आसन शुद्धि मंत्र
विनियोग- पृथ्वीति मंत्रस्य मेरू पृष्ठ ऋषिः सुतलं छन्दःकुर्मो देवता आसने  बिनियोगः।।
मंत्र- पृथ्वी त्वा धृतालोका देवी त्वं बिष्णुना धृता।
त्वं च धारय मां देवी पवित्रं कुरू चासनम्।।
आसन शुद्धि के बाद में अपनी शिखा को निम्न मंत्र बोलते हुए बांधले और अगर शिखा ना हो तो अपने सर को एक रुमाल से ढक ले
                 शिखा वंदन मंत्र
चिद्रूपिणि! महामाये! दिव्यतेजः समन्विते। ःः
तिष्ठ देवी! शिखामध्ये तेजोवृद्धि कुरुष्व में।।
शिखा बंधन के पश्चात स्वस्तिवाचन मंत्र मांगलिक श्लोक नवग्रह पूजन कलश पूजन आदि किया जाता है जिस जिसके बारे में हम पिछले अंक में बता चुके हैं।।
इसके बाद में कर्म पात्र पूजन किया जाता है तो निम्न मंत्र को बोलते हुए कर्म पात्र का पूजन करें
                 कर्मपात्र पूजन मंत्र
गंगे च यमुने चैन गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिंधु कावेरी जलेऽस्मिन्सन्निधि कुरू।।
ॐ अपांपतये वरूणाय नमः। सर्वोपचारार्थे
गन्धाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि नमस्करोमि।।
इसके बाद पृथ्वी माता का पूजन करें
               पृथ्वी पूजन मंत्र
पृथ्वी त्वया धृतालोका देवी त्वं बिष्णुना धृता।
त्वं च धारय मां देवी पवित्रं कुरू चासनम्।।
ॐ आधारशक्तये पृथिव्ये नमः। कमलासनाये नमः। 
इसके बाद दीपक स्थापित करें।
                 दीपस्थानम् मंत्र
भो दीप देवरूपस्त्वं कर्मसाक्षी ह्मविध्नकृत्।
यावत्कर्मसमाप्तिः स्यादतावत्वं सुस्थिरो भव।। इसके बाद शंख देवता का पूजन करें
                  शंख पूजन मंत्र
त्वं पुरासागरोत्पन्नो विष्णुना विधृतः करें।
निर्मितः सर्वदेवश्च पाञ्चजन्य नमोऽस्तुते।।ॐ भूर्भुवः स्वः शंड्खस्थदेवाय नमः। ः ःः
इसके बाद घण्टा (गरूड़) देवता का पूजन करें

            घण्टा (गरूड़) पूजन मंत्र
आगमार्थ तु देवानां गमनार्थ च रक्षसाम्।
कुरू घण्टे वरं नादं देवतास्थान सन्निधौ।।
ॐ भूर्भुवः स्वः घण्टास्थिताय गरूडाय नमः।
 किसी भी देवता का पूजन करने से पहले 
सर्वप्रथम उन देवता की स्थापना (प्रतिष्ठा) की जाती है।
                   प्रतिष्ठा मंत्र
अस्यै प्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणाःक्षरन्तु च।
अस्यै देवत्वमर्चायै मामहेति च कश्चन ।। इसके पश्चात भगवान को दूध दही घी शहद शुद्धोधन आदि से स्नान करवाते हैं तो स्नान के मंत्र निम्न प्रकार से हैं
                 स्नान मंत्र (दुग्ध)
कामधेनुसमुद्भूतं सर्वेषां जीवनं परम्।
पावन यज्ञहेतुश्च पयः स्नानार्थमर्पितम्।।
इसके बाद भगवान को शुद्ध जल से स्नान कराएं और इसके बाद भगवान को दधि (दही) से स्नान कराएं
                दधिस्नान(दही) मंत्र
पयसस्तु समुद्भूतं मधुराम्लं शशिप्रभम्।
दध्यानीतं मया देव स्नानार्थ प्रतिगृह्मताम्।। पुनः भगवान को शुद्ध जल  से स्नान कराएं, इसके बाद भगवान को शुद्ध घी से स्नान कराएं
                  घृत स्नान मंत्र
नवनीतसमुत्पन्नसर्वसंतोषकारकम्।
घृतं तुभ्यं प्रदास्यामि स्नानार्थ प्रतिगृह्मताम्।। इसके बाद भगवान को शुद्ध जल से स्नान कराएं। पुनः मधु से स्नान कराएं
                 मधु स्नान मंत्र
पुष्परेणुसमुदद्भूतं सुस्वादु मधुरं मधु।
तेजः पुष्टिकरं दिव्यं सनानार्थ प्रतिगृह्मताम्।।
इसके बाद भगवान को शुद्ध जल से स्नान कराएं, तत्पश्चात भगवान को शर्करा स्नान कराएं
इक्षुरसमुद्भूतां शर्कराएं पुष्टिदायक शुभाम्।
मलापहारिकां दिव्यं स्नानार्थ प्रतिगृह्मताम्।।
पुनः भगवान को शुद्ध जल से स्नान कराएं, तत्पश्चात भगवान को पञ्चामृत से स्नान कराएं
              पञ्चामृतस्नान मंत्र
पञ्चामृतं मयनीतं पयो दधि घृतं मधु।
शर्करया समायुक्तं स्नानार्थ प्रतिगृह्मताम्।।
पुनः भगवान को शुद्ध जल से स्नान कराएं, इसके बाद भगवान को शुद्ध जल मैं चंदन कुमकुम आदि डालकर भगवान को शुध्दोदकस्नान कराएं
गंगा च यमुना चैन गोदावरी सरस्वती।
नर्मदासिन्धुकावेरी स्नानार्थ प्रतिगृह्मताम्।।
इसके बाद भगवान को शुद्ध जल से स्नान कराएं।। इसके बाद भगवान को वस्त्र चढ़ाएं
               वस्त्र चढ़ाने का मंत्र
शीतवातोष्णसंत्राणं लज्जाया रक्षणं परम्।
देहालड्करणं वस्त्रमतः शान्ति प्रयच्छ में।।
वस्त्र चढ़ाने के बाद भगवान को एक आचमनी जल चढाएं। इसके बाद भगवान को उपवस्त्र चढ़ाएं और एक आचमनी जल छोड़ें
            उप वस्त्र चढ़ाने का मंत्र
यस्याभावेन शास्त्रोक्तं कर्म किञ्चन्न सिद्धयति।
उपवस्त्रं प्रयच्छामि सर्वकमोपकारकम्।।
इसके बाद भगवान को यज्ञोपवीत चढ़ाएं और एक आचमनी जल छोड़ें
                   यज्ञोपवीत मंत्र
नवभिस्तन्तुभिर्युक्तं त्रिगुणं देवतामयम्।
उपवीतं मया दत्ता गृहाण परमेश्वर।। इसके बाद भगवान को चंदन लगाएं
                चंदन लगाने का मंत्र
श्रीखण्डं चन्दनं दिव्यं गन्धाढयं सुमनोहरम्।
विलेपनं सुरश्रेष्ठ! चन्दनं प्रतिगृह्मताम्।।
इसके बाद भगवान को अक्षत (चावल) चढ़ाएं
        अक्षत (चावल) चढ़ाने का मंत्र
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कुड्कुमाक्ताः सुशोभिताः।
मया निवेदिता भक्त्याः गृहाण परमेश्वर।।
इसके बाद भगवान को पुष्पमाला या पुष्प अर्पित करें
      पुष्प माला (पुष्प) चढ़ाने का मंत्र
माल्यादीनी सुगन्धीनि मालत्यादीनी वै प्रभो।
मयाहृतानि पुष्पाणि पूजर्थि प्रतिगृह्मताम्।।
इसके बाद भगवान को हरि हरि दूव चढ़ाएं
               दूव चढ़ाने का मंत्र
दुर्वाड्कुरान सुहरितानमृतान मंगलप्रदान।
आनीतांस्तव पुर्जार्थ गृहाण गणनायक।।
इसके बाद भगवान को सिन्दूर चढ़ाएं
            सिन्दूर चढ़ाने का मंत्र
 सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्।
शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्मताम्।।
इसके बाद भगवान को अबीर गुलाल चढ़ाएं
       अबीर (गुलाल) चढ़ाने का मंत्र
अबीरं च गुलालं च हरिद्रादिसमन्वितम्।
नाना परिमलं द्रव्यं गृहाण परमेश्वर।।
इसके बाद भगवान को धूप दिखाएं
           धूप दिखाने का मंत्र
वनस्पतिरसोद्भूतो गन्धाढयो गन्ध उत्तमः।
आनेयः सर्वदेवानां धूपोऽयं प्रतिगृह्मताम्।।
इसके बाद भगवान को दीप दिखाएं और अपने हाथों को धो लें,
               दीप दिखाने का मंत्र
भक्त्या दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने।
त्राहि मां निरयाद् धोराद् दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते।।
दीप दिखाने के बाद भगवान को भोग लगाएं और एक आचमनी जल छोड़ें
               भोग लगाने का मंत्र
शर्कराखण्ड्खद्यानि दधिक्षीरघृतानि च।
आहारं भक्ष्यभोज्य च नैवेद्यं प्रतिगृह्मताम।।
भोग लगाने के बाद भगवान को ऋतुफल समर्पित करें और एक आचमनी जल छोड़ें
             ऋतुफल चढ़ाने का मंत्र
इदं फलं मया देव स्थापितं पुरतस्तव।
तेन में सफलावाप्तिर्भवेज्जन्मनि जन्मनि।।
इसके बाद भगवान को करोद्धर्तन चंदन लगाएं
                  करोद्धर्तन चंदन
चन्दनं मलयोद्भूतं कस्तूर्यादिसमन्वितम्।
करोद्धर्तनकदेव गृहाणपरमेश्वर।।
इसके बाद भगवान को पान सुपारी लौंग इलायची आदि अर्पित करें
            ताम्वूल चढ़ाने का मंत्र
पूगीफलं महादिव्यं नागवल्लीदलैर्यतम्।
एलादिचूर्णसंयुक्तं ताम्वूलं प्रतिगृह्मताम्।।
इसके बाद भगवान को दक्षिणा अर्पित करें
             दक्षिणा चढ़ाने का मंत्र
ॐ हिरण्यगर्भ समवर्तताग्रे भूतस्य जातः पतिरेक आसीत्।
स दाधार पृथ्वी द्यामुतेमां कस्मै देवाय हविषा विधेम्।।
इसके बाद भगवान से क्षमा प्रार्थना करें क्षमा प्रार्थना के लिए मैंने पिछले अंक आरती पुष्पांजलि मैं बताया है आप वहां से इन मंत्रों को बोल सकते हैं ।

शुक्रवार, 4 मार्च 2022

हवन विधि (होम) Havan Vidhi (Hom)

साथियों आज के इस अंक में हम आपको श्री सत्यनारायण व्रत कथा के उपरांत होने वाले हवन विधि के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे तो आइए शुरू करते हैं श्री सत्यनारायण व्रत कथा हवन (होम) विधि
श्री सत्यनारायण व्रत कथा हवन विधि
हवन के लिए निम्नलिखित मंत्र से संकल्प करें 
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु: पूर्वोच्चारितग्रहगणगुण विशेषण विशिष्टायां शुभपुण्यतिथौ अमुकगोत्र: अमुकोऽहं कृतस्य श्रीसत्यनारायणव्रतकथाकर्मण:साङ्गतासिद्ध्यर्थ यथोपस्थितंसामग्रीभि: होमं करिष्ये।
इसके बाद वेदी का परिमार्जन करें कुशा से वेदी को साफ करें इसके बाद वेदी के ऊपर गोबर से थोड़ा लीप दें इसके बाद वेदी में सूरवे से पश्चिम से पूर्व की ओर तीन रेखाएं खींचीए पहली रेखा दक्षिण की ओर दूसरी बीच में और तीसरी उत्तर की ओर खींचना है तीनों रेखाओं से थोड़ी थोड़ी मिट्टी लेकर ईशान कोण में फेंके वेदी को थोड़ा-थोड़ा जल से सींचे, इसके बाद अग्नि जलाकर किसी पात्र में लेकर अग्नि को घुमा कर नेरित्य कोण में थोड़ा रख दें इसके बाद निम्न मंत्र बोलते हुए अग्नि को वेदी में स्थापित कर दे।
ॐ अग्रिं दूतों पुरो दद्ये हव्यवाहमुप व्रवे।
देवा२ आ सादयादिह।
भगवान अग्नि देवता का ध्यान करें
अग्रिंप्रज्वलितं वन्दे जाते दूहुताशनम्।
सुवर्णवर्णममलं समिद्धं सर्वतोमुखम्।।
ॐ वलवर्धननामाग्नये नमः इस मंत्र से गंध अक्षत पुष्प आदि से अग्नि का पूजन करें इसके बाद एक पात्र में जल लेकर उत्तर दिशा में रख दें और जब आप घी की आहुति दें तो सूरवे में बचा हुआ घी उस पात्र में छोड़ दे सबसे पहले घी से पांच आहुति दें।
ॐ प्रजापतये स्वाहा, इदं प्रजापतये न मम।
ॐ इन्द्राय स्वाहा, इदं इन्द्राय न मम।
ॐ आग्नेय स्वाहा, इदं आग्नेय न मम।
ॐ सोमाय स्वाहा, इदं सोमाय न मम।
इसके
बाद सबसे पहली वराह आहुति भगवान श्री गणेश जी की लगती है तो निम्न मंत्र से आहुति दें
ॐ गणानांत्वा गणपति गुंग हवामहे प्रियाणांत्वा प्रियपति गुंग हवामहे,
निधीनांत्वा निधिपति गुंग हवामहे
वसोमम अहमजानि गर्भधमा त्वमजासि गर्भधम्।। स्वाहा
ॐ अम्बे अम्बिकेऽम्वालिके न मा नयति कश्चन।
ससस्त्यश्वक: सुभद्रिकांकाम्पील वासिनीम्।। स्वाहा
इसके बाद हवन सामग्री से नवग्रह देवताओं को आहुति दें।
ॐ आदित्याय स्वाहा
ॐ सोमाय स्वाहा
ॐ भौमाय स्वाहा
ॐ वुधाय स्वाहा
ॐ बृहस्पतये स्वाहा
ॐ शुक्राय स्वाहा
ॐ शनैश्चराय स्वाहा
 ॐ राहवे स्वाहा
ॐ केतवे स्वाहा।
श्री सत्यनारायण कथा कर्म के प्रधान देवता भगवान श्री सत्यनारायण है अतः प्रथम उनके  द्वादश अक्षर मंत्र  ओम नमो भगवते वासुदेवाय का 108 बार या यथाशक्ति मंत्र के बाद स्वाहा लगाकर आहुति दें इसके बाद अपने कुलदेवता इष्ट देवता के नाम की आहुति दें तथा बची हुई हवन सामग्री को एक साथ
ॐ अग्नये स्विष्टकृते स्वाहा,
इदं अग्नये स्विष्टकृते न मम।
इसके बाद नौ आहुति घी की लगती है
ॐ भू: स्वाहा, इदंअग्नये न मम
ॐ भुव: स्वाहा, इदं वायवे न मम
ॐ स्व: स्वाहा, इदं सुर्याय न मम
ॐ अग्रीवरुणाभ्यां स्वाहा, इदं अग्निवरुणाभ्यां न मम
ॐ अग्रीवरुणाभ्यां स्वाहा, इदं अग्निवरुणाभ्यां न मम
ॐ अग्नये स्वाहा, इदं अग्नये अपसे न मम
ॐ वरुणाय सविप्रे विष्णवे विश्वेभ्यो देवेभ्यो मरुभ्य: स्वकैभ्वश्च स्वाहा, इदं वरुणाय सविप्रे विष्णवे विश्वेभ्यो देवेभ्यो मरुभ्य: स्वकैभ्वश्च न मम
ॐ वरुणायादित्यायादित्ये स्वाहा, इदं वरुणायादित्यादित्ये न मम
ॐ प्रजापतये स्वाहा, इदं प्रजापतये न मम।
इसके बाद हवन की भभूति को अपने मस्तक गले कान आदि में लगाएं उसके बाद आरती करें पुष्पांजलि करें एवं भगवान का प्रसाद भक्तों में वितरण करें।


बुधवार, 2 मार्च 2022

आरती मंत्र

साथियों आज के इस अंक में हम आपको किसी भी पूजन में आरती के समय होने वाले आरती मंत्र, मंत्र पुष्पांजलि, क्षमा प्रार्थना, एवं परिक्रमा मंत्र के बारे में जानकारी देंगे।।
                  आरती मंत्र
ॐ इद गुं हवि: प्रजननं में अस्तु दशवीर गुं सर्वगण गुं स्वस्तये।
आत्मसनि प्रजा संधि पशुसनि लोकसन्यभयसनि।
अग्नि: प्रजां वहुलां में करोत्वन्नं पयो रे तो अस्मासु धत्त।।
ॐ आ रात्रि पार्थिव गुं रज: पितृरप्रायि धामभि:।
दिव: सदा गुं सि वृहती वि तिष्ठस आ त्वेषं वर्तते तम:।।
कदलिगर्भ सम्भूतं कर्पूरं तु प्रदीपितम्।
आरार्तिकहं कुर्वे पश्य में वर्षों भव।।
                  पुष्पांजली मंत्र
ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन्।
ये ह नाकं महिमान: सचन्त यत्र पूर्वे साध्या: सन्ति देवा:।।
ॐ राजाधिराजाय प्रसह्म साहिने नमो वयं वैश्रवणाय कुर्म हे स में कामान कामकामाय मह्मं कामेश्वरी वैश्रवणो ददातु।।
कुवेराय वैश्रवणाय महाराजाय नमः।।
ॐ विश्वतश्चक्षुरुत विश्वतोमुखो विश्वतोवाहुरुत। 
विश्वासपात् सं वाहुभ्यां धमति सं पतत्रैर्धावाभूमि जनयन देव एक:।।
सेबन्तिका वकुल चम्पक पाटलाब्जै: पुन्नाग जाति करवीर रसाल पुष्पै:।।
बिल्व प्रवाल तुलसीदल मंजरीभि: त्वां पूजयामि जगदीश्वर मैं प्रसीद।।
नानासुगन्धिपुषृपाणि यथाकालोद्ववानि च पुष्पाञ्जलिर्मया दत्त गृहाण परमेश्वर।।
               क्षमा प्रार्थना मंत्र
आवाहनन्जानामि न जानामि तर्वाचनम्।
पूजा श्चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वर।।
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वर।
यत्पूजितं मया देव परिपूर्ण तदस्तु में।।
                 परिक्रमा मंत्र
यानि कानि च पापानि जनमान्तरकृतानि च।
तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणा पदे पदे।।

भारत के प्रमुख पर्यटन स्थल Indian tourist spots Indian tourist spots

साथियों आज के अंक में हम भारत के प्रमुख पर्यटन स्थल के बारे में जानकारी देंगे जहां पर Indian tourist के अलावा all world से tourist भी काफी स...