अर्थात- वचन के कारण ही महाराज दशरथ की मृत्यू हुई, वचन के कारण ही प्रभू श्रीराम को वन जाना पड़ा, वचन के कारण ही राजा हरिश्चन्द्र को दुख झेलने पडे।अतः हमे हर परिस्थित में अपने वचन की रक्षा करनी चाहिए।
हमारा प्रयास हैं कि भारतीय धर्म संस्कृति को अधिक से अधिक लोगो तक पहुचाया जाए। इसी तारतम्य में यह हमारी छोटी सी कोशिश है। प्रस्तुत ब्लॉग में चालीसा, व्रत, एवं आरतियां विभिन्न, हिन्दू ग्रन्थों, पोथी,पुराणों से ब्लॉगर ने अपने परिश्रम से एकत्रित किये हैं यह ब्लॉगर की स्वंय की कृति नही है, अतः इसमें कोई त्रुटि हो तो हम क्षमा प्रार्थी है औऱ उसमे सुधार के लिए आपके सुझाव का स्वागत करते हैं।
शुक्रवार, 5 जनवरी 2024
बात में दम
बातहीं से दशरथ मरे, बातही राम फिरे वन जाई, बातही से हरिश्चंद्र सहे दुख, बात की गात में राख सच्चाई, बात ठिकाने नहीं जिंनकी, तिन बाप ठिकाने न जानिऐ भाई।
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