हमारा प्रयास हैं कि भारतीय धर्म संस्कृति को अधिक से अधिक लोगो तक पहुचाया जाए। इसी तारतम्य में यह हमारी छोटी सी कोशिश है। प्रस्तुत ब्लॉग में चालीसा, व्रत, एवं आरतियां विभिन्न, हिन्दू ग्रन्थों, पोथी,पुराणों से ब्लॉगर ने अपने परिश्रम से एकत्रित किये हैं यह ब्लॉगर की स्वंय की कृति नही है, अतः इसमें कोई त्रुटि हो तो हम क्षमा प्रार्थी है औऱ उसमे सुधार के लिए आपके सुझाव का स्वागत करते हैं।
बुधवार, 2 जून 2021
बिना चालक की बस
एक छोटा सा बालक था वह ईश्वर में श्रद्धा रखता था, उसके पिता एक पड़े लिखे व्यक्ति थे, परंतु वह ईश्वर में विश्वास नही रखते थे, बालक कभी कोई सवाल करता तो वह उसे वैज्ञानिक तरीके से समझा देते थे। एक दिन बालक ने पूछा पिता जी इस संसार को कौन चलता है, ये बारिश, गर्मी, सर्दी, अपने समय पर ही क्यों आते हैं, सूर्य चंद्रमा समय से क्यो निकलते हैं कौन है जो इन्हें मैनेज करता है? पिता ने बताया बेटा इसे कोई मैनेज नही करता ये सब अपने आप होता है, दुनिया को कोई नही चलता ये अपने आप चलती है। अगले दिन बालक स्कूल गया वहाँ से थोड़ा लेट हो गया, घर पर पिता परेशान हो गए। थोड़ी देर बाद बालक बालक घर पहुच गया, पिता ने डाँटते हुए पूछा आज स्कूल से लेट कैसे हो गए, बालक मुस्कुराते हुए बोला पिता जी आज स्कूल से बिना ड्राइवर की बस में आया हूँ अब बस को कोई मैनेज तो कर नही रहा था तो वह कहीं भी रुक जाती बड़ी मुश्किल से घर पहुँच पाया हूं। बालक की बात सुनकर पिता को गुस्सा आया और वह बोला बेटा ऐसा भी होता है क्या की बगैर किसी के चलाये बस चलती हो, बालक बोला पिता जी जब इतनी बड़ी दुनिया बगैर किसी के चलाये चल सकती है तो क्या एक छोटी सी बस बगैर ड्राइवर के नही चल सकती। पिता हैरत भरी नजरों से बेटे की तरफ देखने लगा, छोटे से बच्चे ने पिता की आँखे खोल दी।
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