पाप कपट कर माया जोड़ी
कुटुम कबीला खायेगा ।। बता रे मन तू ।।
आगे नदिया अगम बहत है
उसमे डाला जाएगा
धर्मी धर्मी पर उतर गए
पापी गोता खायेगा ।। बता रे मन तू क्या ।।
लोहे का इक खम्ब गड़ा है
उसमे बांधा जाएगा
बता रे मन तू क्या ले जाएगा।।
(2)
मेरे पाँव में पड़ गए छाले,
काली कमली के ओढ़ने वाले।
अपने भगतो को शहदा बना ले,
काली कमली के ओढ़ने वाले।।
गहरी नदिया नाव पुरानी
खेवनहारा वो भी अनाड़ी,
मेरी कश्ती को पार लगा दे
काली कमली के ओढ़ने वाले।। अपने भक्तों को शहदा बना ले,
काली कमली के ओढ़ने वाले ।।
श्याम पिया का एक पता है
साँवली सूरत बाँकी अदा है
बाके बाल है घुघर वाले
काली कमली के ओढ़ने वाले
(3)
लहर लहर लहराए हो
झण्डा बजरंगबली का ।
इस झण्डे को हाथ मे लेकर
सीता की खोज लगाई हो ।।
।। झण्डा बजरंगबली का ।।
बजरंगबली का मेरे हनुमत लला का
लहर लहर लहराए हो
झण्डा बजरंगबली का।।
इस झण्डे को हाथ मे लेकर
लक्ष्मण की जान बचाई हो
।। झण्डा बजरंगबली का ।।
लहर लहर लहराए हो
झण्डा बजरंगबली का।।
(4)
राम नाम को भज ले बंदे
क्यो करते हो आनाकानी
हम जानी की तुम जानी ।
बालापन हँस खेल बितायो
खेल करे थे मनमानी।। हम जानी की..
आई जवानी खूब कमाया
माया जोड़ी थी मनमानी।। हम जानी की
आये बुढ़ापे कापन लागे